नई दिल्ली। अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन के मालिकाना हक के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले साल तक टल गई है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में तीन नए जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए मामला 2019 तक टाल दिया। जनवरी में यह तय होगा कि कौन सी बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी और इसकी अगली तारीख भी तब ही तय होगी। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
LIVE अपडेट::::::::
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- अयोध्या मामले पर तुरंत सुनवाई नहीं : CJI
- अयोध्या मामला : तारीख तय करने पर जनवरी 2019 में होगी सुनवाई
- अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट में जनवरी तक के लिए सुनवाई टली
- अयोध्या में विवादित जमीन किसकी है, इस मामले को लेकर थोड़ी देर में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई शुरू होगी।
- राम मंदिर मुद्दे पर बोले गिरिराज सिंह-अयोध्या में बनेगा राम मंदिर।
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विवादित जमीन के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच
करेंगी जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई करेंगे। इस बेंच में उनके
अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी होंगे।
- राम
जन्मभूमि-बाबरी विवाद की सुनवाई शुरू होने से पहले जगह-जगह यज्ञ और
अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू हो गया। अयोध्या में भी ऐसे ही एक यज्ञ का
आयोजन किया गया। खास बात यह रही कि इस यज्ञ में मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं
ने भी हिस्सा लिया।
- काबा बदला नहीं जा सकता, हरमंदिर साहब को
नहीं बदला जा सकता, वेटिकन को बदला नहीं जा सकता और राम जन्मस्थान को बदला
नहीं जा सकता, यह एक सत्य हैः इंद्रेश कुमार, RSS
कुछ कट्टरपंथी
मुल्लाओं और कांग्रेस की सियासत के कारण यह मामला सुप्रीम कोर्ट में फंसा
है। भगवान अपने घर के लिए इंसानी अदालत के फैसले का इंतजार में है। यह
शर्मनाक है। - शिया वक्फ बोर्ड चीफ वसीम रिजवी
-'हम चाहते हैं फैसला
होना चाहिए, मसला लंबा हो गया है। 70 साल का मसला है। इस सुनवाई से नेताओं
के लिए चांदनी रात हो जाती है। फैसला होना चाहिए। झगड़ा खत्म होना चाहिए।
हमने सबूत पेश किया है। राम मंदिर के लिए कोई नया कानून लाने की जरूरत नहीं
है। अदालत फैसला करेगी।' - अयोध्या मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी
इससे पहले 27 सितंबर 2018 को कोर्ट मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं वाले फैसले के खिलाफ याचिका पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया था और कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला इस मामले में प्रासंगिक नहीं है।
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