नई दिल्ली। निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताते हुए कहा है कि यह संविधान के आर्टिकल 21 के तहत आता है। ज्ञातव्य है कि निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने सुनवाई की थी। सुप्रीम कार्ट की इस संवैधानिक बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता की सीमाएं तय की जा सकती है। 9 जजों की इस बेंच ने सर्वसम्मति से माना कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। हांलांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि निजता का अधिकार कुछ तर्कपूर्ण रोक के साथ ही मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर मौलिक अधिकार में तर्कपूर्ण रोक होते ही हैं। ज्ञातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने इस मामले में 6 दिनों तक सुनवाई करने के बाद 2 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आधार पर अलग से होगी सुनवाई:
ज्ञातव्य है कि कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व जज केएस पुत्तास्वामी ने 2012 में आधार स्कीम को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि संविधान के अन्य मौलिक अधिकारों की तरह निजता के अधिकार को भी दर्जा मिले। साथ ही याचिका में आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा तमाम प्राइवेट डेटा लिए जाने पर सवाल उठाए थे। याचिककर्ता ने कहा था कि यह आम आदमी के निजता के अधिकार में दखल है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले यह होगा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार पर अलग से सुनवाई होगी। हांलांकि आधार का मामला इस केस से अप्रत्यक्ष रूप से जुडा हुआ था लेकिन अभी आधार पर फैसला नहीं किया गया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आधार की किस्मत नहीं तय होगी। आधार मामले पर अलग से सुनवाई होगी।
केन्द्र सरकार ने दी थी यह दलील:
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