नई दिल्ली। राफेल विमान सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर आज अहम सुनवाई चल रही है। राफेल मामले में सुनवाई के दौरान कॉमन कॉज के प्रशांत भूषण ने सरकार पर
गंभीर आरोप लगाए और मामले को संविधान पीठ को भेजे जाने की जरूरत पर बल
दिया। उन्होंने कहा, राफेल डील की पूरी प्रक्रिया में नियमों को ताख पर रख
दिया गया। कैसे 126 लड़ाकू विमानों से घटकर केवल 36 विमानों का सौदा हुआ।
यह फैसला किसने लिया और किस आधार पर प्रधानमंत्री ने 36 राफेल विमानों के
सौदे की घोषणा की। भूषण ने कहा, प्रधानमंत्री को यह अधिकार नहीं है। अब भी
36 एयरक्राफ्ट डिलीवर नहीं हुए हैं, पहला एयरक्राफ्ट सितंबर 2019 तक डिलीवर
होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, सरकार पहले भी कई बार राफेल का मूल्य बता
चुकी है पर अब वह गोपनीयता का हवाला दे रही है, जो निहायत ही बकवास है।
उन्होंने कहा, मामला सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए और सीबीआई को पक्षपातरहित
जांच करनी चाहिए। हमने मामले की सीबीआई में शिकायत की पर अब तक कोई
कार्रवाई नहीं हुई है। तब हमने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।
भूषण ने
कहा, सरकार का कहना है कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में उनकी कोई भूमिका नहीं
है, जबकि नियम और प्रक्रिया यह है कि आफसेट पार्टनर के नाम को रक्षा मंत्री
की मंजूरी जरूरी होती है। उन्होंने कहा, रिलायंस को रक्षा क्षेत्र या
लड़ाकू विमान बनाने में कोई अनुभव नहीं है। सरकार ऐसा नहीं कह सकती कि
ऑफसेट पार्टनर के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। ऐसा करना प्रक्रिया का
उल्लंघन करना है।
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