नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को लोकपाल की नियुक्ति के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों के बारे में बताने के निर्देश दिए और प्रत्येक कदम के पूरा होने की समय सीमा बताने को कहा। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने विस्तृत जानकारी की यह मांग तब की, जब महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति अगले कदम के बारे में निर्णय लेने के लिए जल्द ही बैठक करेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अदालत ने कहा कि सक्षम अधिकारी को इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल करना होगा कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए कौन-से कदम उठाए जा रहे हैं और उसके पूरा होने में कितना समय लगेगा। वेणुगोपाल ने न्यायालय से कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के संयुक्त सचिव सक्षम अधिकारी हैं। अदालत ने हलफनामा भरने के लिए 10 दिनों का समय देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई तय कर दी।
एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुच्छेद तीन का हवाला दिया, जो कहता है कि ‘इस अधिनियम के लागू होने के बाद, अधिनियम के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक निकाय ‘लोकपाल’ की स्थापना की जाएगी।’
उन्होंने कहा कि कानून के लागू होने के साढ़े चार वर्ष बाद भी अभी तक कोई लोकपाल नहीं है। भूषण ने अदालत से संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने और लोकपाल नियुक्त करने का आग्रह किया।
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