नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बेतहाशा बढ़ाई गई ट्रैफिक चालान की धनराशि से राज्य सरकारों में कोहराम पहले से मचा है। यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले लापरवाह लोग चालान की बढ़ी हुई इन नई और ऊंची दरों के चलते तीन दिनों से हलकान हैं। भला ऐसे में दिल्ली पुलिस की पेशानी पर बल क्यों न पड़े? आखिरकार पुलिस भी तो समाज का ही हिस्सा है। और कानून न तोड़ने की जिम्मेदारी, कानून से अनजान आम आदमी की तुलना में पुलिस की और ज्यादा बढ़ जाती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आईएएनएस के हाथ लगे दिल्ली पुलिस की संयुक्त आयुक्त (यातायात ऑपरेशंस) मीनू चौधरी का आदेश तो कम से कम यही बता रहा है। संयुक्त आयुक्त यातायात की ओर से आदेश संख्या 7319-7470/टीई(डी-1)/ट्रैफिक, नई दिल्ली 3 सितंबर, 2019 को जारी किया गया है।
ऐसा नहीं है कि पुलिस वालों से यातायात नियमों का पालन कराने का ख्याल सबसे पहले संयुक्त पुलिस आयुक्त मीनू चौधरी को ही आया हो। मीनू चौधरी से पहले यातायात कानून का पालन करने/ कराने के संबंध में ऐसे विशेष मशविरे से भरे हुए आदेश-पत्र पूर्व में 22 अप्रैल, 2013 को अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ट्रैफिक और सात अगस्त, 2014 को संयुक्त पुलिस आयुक्त यातायात (मुख्यालय) द्वारा भी जारी किए जा चुके हैं।
मीनू चौधरी द्वारा जारी नए आदेश में भी पुलिस महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्क करते हुए उनसे यही अपेक्षा की गई है कि वे एक सितंबर, 2019 से लागू नए 'मोटर व्हीकल्स अधिनियम-2019' का गंभीरता से पालन करें। क्योंकि नए अधिनियम में साफ-साफ लिखा है कि कानून का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात ऑपरेशंस) द्वारा जारी आदेश की प्रतिलिपि दिल्ली पुलिस महकमे की सभी संबंधित शाखाओं को प्रेषित की गई है, ताकि पुलिस वाले सड़क पर यातायात नियमों का पालन करके खुद को आर्थिक या कोई अन्य दंड भुगतने से बचा सकें।
उल्लेखनीय है कि उपरोक्त आदेश विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) द्वारा भी पास किया जा चुका है। (आईएएनएस)
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