नई दिल्ली। राजधानी में यमुना के किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करने को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) के विश्व सांस्कृतिक महोत्वस से यमुना को हुए नुकसान के मामले में हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी श्री श्री रविशंकर पर काफी नाराज दिखा। एनजीटी हाल में दिए उस बयान से नाराज था जिसमें श्री श्री ने कहा था कि वह जुर्माना क्यों भरे, जुर्माना तो केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और खुद एनजीटी को भरना चाहिए, क्योंकि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को कराने की इजाजत हमें इनसे ही मिली थी। नाराज एनजीटी ने कहा कि आपने यहां याचिका डाली हुई है और आप सोचते हैं कि आपके पास आजादी है कि जो चाहें आप बोलते रहें। क्या आपको अपनी जिम्मेदारी का अंदाजा है। आपके ये बयान हमारे लिए चौंकाने वाले हैं। कोर्ट अब इस मामले में 9 मई को सुनवाई करेगा।
एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसका रवैया गैरजिम्मेदाराना है और वह जो मन में आए वह नहीं बोल सकती। दरअसल, मंगलवार को रविशंकर ने इस मुद्दे पर फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से अगर पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एक ऐतिहासिक कार्यक्रम को अपराध की तरह पेश किया जा रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने गुरुवार को कहा कि रविशंकर के पर्वाग्रह के आरोप चौंकानेवाले हैं। आर्ट ऑफ लिविंग को फटकार लगाते हुए एनजीटी ने कहा, ‘आपको अपनी जिम्मेदारी का बिल्कुल अहसास नहीं है। क्या आपको लगता है कि आपको जो चाहें वह बोलने की छूट मिली हुई है?’ एनजीटी ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह रविशंकर के बयान की विस्तृत जानकारी देते हुए आवेदन दे ताकि उसे रेकॉर्ड पर लिया जा सके।
क्या कहा था एनजीटी की कमेटी ने
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