श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन की ही देन है जो छत्तीसगढ़ के कोरिया
जिले के सोनहाट के स्कूल में बच्चे स्मार्ट क्लास में पढ़ाई करते हैं।
हरियाणा के रेवाड़ी के कोसली क्लस्टर के गांवों में शहरों की तरह स्ट्रीट
लाइटें लग गईं हैं। क्योंकि यहां पावर सब स्टेशन भी बन गया है। मोदी सरकार
का कहना है कि पांच से दस गांवों के बीच में एक या दो गांव ऐसे होते हैं,
जहां पर बाजार आदि सुविधाएं होने के कारण लोग कुछ खरीदारी करने जाते हैं।
सरकार ने तय किया कि शहरीकरण की संभावनाओं वाले ऐसे गांवों को सेंटर बनाकर
आस-पास के गांवों को जोडक़र विकास करना चाहिए। सरकार का मानना है कि बाजार
की सुविधा वाले गांवों में साल दर साल आबादी बढ़ती रहती है। ऐसे में अगर
क्लस्टर बनाकर आस-पास के गांवों का विकास किया जाए तो शहरों की तरफ ग्रामीण
आबादी को बढऩे से रोका जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी अपने एक पुराने बयान
में कह चुके हैं कि भारत के आर्थिक विकास को भी सिर्फ पांच या 50 बड़े
शहरों के आधार पर नहीं चलाया जा सकता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले
125 करोड़ आबादी के देश में अगर लोगों को रोजगार देना है तो नीचे से शुरुआत
करनी होगी। ये रुर्बन यानी अर्बन और रूरल को मिलाकर जो कल्पना है, उसमें
उसको ग्रोथ सेंटर बनाने की कल्पना है। मकसद है कि आर्थिक विकास की गतिविधि
का गांव भी केंद्र बिंदु बनें।
इस योजना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पहले ही
कह चुके हैं कि छोटे-छोटे बाजार होंगे, कारोबार अगल-बगल के 5-10 गांवों के
लिए चलता होगा तो धीरे-धीरे वो रुर्बन यानी ऐसे गांव जो शहरीकरण से युक्त
बन जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि रुर्बन मिशन के सफल होने पर
छोटे गांव में डॉक्टरों और शिक्षकों के न जाने की समस्या दूर हो जाएगी।
वहीं ग्रामीणों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
गांवों में क्या
होंगी सुविधाएं : 24 घंटे पानी, कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन, लघु एवं
मध्यम उद्योग, नागरिक सेवा केंद्र, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाओं का
विकास, खेल संरचना, स्किल डवलपमेंट।
(IANS)
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