नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर लगाए गए आरोपों के बाद से जारी विवादों के बीच अब जस्टिस बी. एच. लोया की संदिग्ध मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट की किसी दूसरी बेंच में भेजा जा सकता है। इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस मोहन एम. शांतनागौदार की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा, सभी दस्तावेज अगले 7 दिनों के अंदर ऑन रिकॉर्ड रखे जाएं और अगर ये दस्तावेज उपयुक्त पाए जाते हैं तो उसकी प्रति याचिकाकर्ताओं को भी मुहैया कराई जाए। इसे उचित बेंच के समक्ष रखा जाए। जजों के इस कथन से अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अब यह केस किसी और बेंच के पास भेजा जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने मामले को सात दिनों के लिए स्थगित कर दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा व न्यायमूर्ति मोहन एम.शांतनगुदार की पीठ ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से दस्तावेजों को याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने को कहा, इस मामले में उन्हें सबकुछ मिलना चाहिए। कोई गोपनीयता नहीं होनी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता टी.पूनावाला व मुंबई के पत्रकार बंधुराज संभाजी लोन ने न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। वकील साल्वे ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश होते हुए अदालत से मुहरबंद लिफाफे में मौजूद दस्तावेजों पर नजर डालने को कहा तो न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, याचिकाकर्ताओं के साथ इसकी प्रतियां साझा करें और हम मामले को सात दिनों के लिए स्थगित करते हैं।
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