नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित तौर पर की गई न्यायेतर हत्याओं के मामले में ठीक ढंग से जांच नहीं करने पर सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सबीआई) की एसआईटी को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने पूछा कि प्राथमिकी (एफआईआर) अधिकारियों के खिलाफ दर्ज न कर पीडि़तों के खिलाफ क्यों की गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायमूर्ति एम. बी. लोकुर और न्यायमूर्ति यू.यू. ललित की खंडपीठ एसआईटी की जांच की प्रगति से संतुष्ट नहीं थी। पीठ ने कहा, ‘‘हमें खेद है कि यहां बड़ी नाइंसाफी हुई है। आपने यह कहते हुए पीडि़तों (मृत) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है कि वे बलवाई थे। हद हो गई। हम संतुष्ट नहीं हैं।’’ मणिपुर में करीब 1,528 न्यायेतर हत्याओं के मामले की जांच की मांग करते हुए दायर एक जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई।
शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई, 2017 को सीबीआई के पांच अधिकारियों का एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाकर उसे इन मामलों में एफआईआर दर्ज करने और मामलों की जांच करने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि एसआईटी ने इन हत्याओं में अबतक 24 मुकदमे दर्ज किए हैं।
वहीं, याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्वेस ने बताया कि इन 24 मुकदमों में 40 मामले मृतकों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी पीठ से शिकायत की और बताया कि एसआईटी ने पीडि़तों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। अदालत ने एनएचआरसी से जांच दल को मदद करने को कहा, क्योंकि मसला नियंत्रण के बाहर हो गया है। शीर्ष अदालत ने एनएचआरसी से कहा कि तीन लोगों को नियुक्त कर 17 मामलों की जांच में एसआईटी की मदद की जाए। मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।
--आईएएनएस
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