नई दिल्ली। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बांग्लादेश में जारी संकट, वहां से जान बचाकर निकली अपदस्थ पीएम शेख हसीना के द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती के अलावा जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी बात रखी। सैम पित्रोदा ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे और भारत के साथ पहले की तरह अच्छे संबंध बनाए रखने की दिशा में भी काम करेंगे।
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उन्होंने आईएएनएस के सवाल, बांग्लादेश में शेख हसीना द्वारा की गई सबसे बड़ी गलती क्या थी? के जवाब में कहा कि किसी भी देश के लोग नेतृत्व के बारे में अपनी धारणा और अपने पद के आधार पर निर्णय लेते हैं। हालांकि, बाहरी दृष्टिकोण से चीज़ें कुछ हद तक तानाशाहीपूर्ण दिखाई दी। मुझे याद है कि जब उसने यूनुस को जांच के दायरे में रखा था, तो विश्व स्तर पर कई लोग नाखुश थे, क्योंकि उनकी एक प्रतिष्ठा थी। उन्होंने नोबेल पुरस्कार जीता और अपना जीवन बांग्लादेश और उसकी गरीब महिलाओं के लिए समर्पित कर दिया था। हालांकि हम उसके द्वारा किए गए हर काम से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन कुल मिलाकर वह बहुत अधिक सम्मान के हकदार हैं। इससे शासन में तानाशाही रवैये का वैश्विक संकेत गया, जिससे लोकतंत्र खतरे में पड़ गया।
यही नजारा दुनिया के कई हिस्सों में सामने आ रहा है, जहां चुनाव आयोग, न्यायपालिका, विश्वविद्यालयों, कर विभागों और पुलिस जैसी संस्थाओं को दबाया जा रहा है, जिससे अनावश्यक उत्पीड़न हो रहा है। हो सकता है कि बांग्लादेश में यह स्थिति इतनी बढ़ गई हो कि यह अचानक नियंत्रण से बाहर हो गई हो। यह आश्चर्यजनक था, विशेषकर उस गति को देखते हुए जिस गति से यह हुआ।
वहीं आईएएनएस के सवाल क्या बांग्लादेश जैसे हालात भारत में भी दिख रहे हैं? के जवाब में सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत एक बहुत ही अलग देश है। यहां की स्थिति विविधतापूर्ण और जटिल है। भारत लोकतंत्र और उसकी जड़ों के प्रति अधिक जागरूक है। मैं भारत की तुलना बांग्लादेश से नहीं करूंगा, इसका मुख्य कारण यहां की जनसंख्या और लोकतंत्र है। हालांकि, तानाशाही रवैये का ख़तरा हमेशा बना रहता है। अमेरिका को देखिए, मैं 60 साल पहले यहां आया था और कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कोई दिन आएगा जब अमेरिका को अधिनायकवाद के बारे में चिंतित होने की जरूरत पड़ेगी। हमारा मानना है कि अमेरिकी संस्थान काफी मजबूत हैं, चाहे वह न्यायपालिका हो, सुरक्षा हो, छात्र हों या विश्वविद्यालय हों। अमेरिकी संस्थान स्वतंत्र, प्रतिभा से भरे एवं साहस से भरपूर हैं। हमारे कई संस्थानों में सही चीज़ के पक्ष में खड़े होने का साहस नहीं है। इसलिए, भारत अलग है, कुछ भी हो सकता है।
वहीं आईएएनएस की तरफ से जब पूछा गया कि क्या शेख हसीना को शरण देना भारत के लिए सही है? इस पर सैम पित्रोदा ने कहा यह भारत को तय करना है। यह निर्णय लेना भारतीय विदेश नीति विशेषज्ञों पर निर्भर है। बांग्लादेश के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। हमें ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिससे हर कोई खुश हो। हम और कोई गड़बड़ी नहीं चाहते हैं। यह सुनिश्चित करना भारत, बांग्लादेश और अन्य देशों के हित में है कि बांग्लादेश जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में लौटे। अगर शेख हसीना को कुछ समय के लिए भारत में रहना पड़ा, तो मुझे यकीन है कि यह ठीक रहेगा। हम चीजें सुलझा सकते हैं।
इसके साथ ही सैम पित्रोदा ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर कहा कि यह कहना मुश्किल है कि वहां चीजें कैसे सामने आएंगी, लेकिन अगर मुहम्मद यूनुस जैसे लोग शीर्ष पर हैं, तो मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि रिश्ते अच्छे होंगे। मैं उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं और 30 वर्षों से अधिक समय से जानता हूं। मैं उनका सम्मान करता हूं और हमारे बीच अच्छी दोस्ती है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं और दुनिया भर में उनका काफी सम्मान है। वह भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहेंगे क्योंकि वह इसकी कीमत समझते हैं। हम बांग्लादेश का भी सम्मान करते हैं और उसके साथ अच्छे संबंध चाहते हैं।
--आईएएनएस
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