नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने के लिए दो महिलाओं बिंदु और फातिमा की याचिका पर आदेश पारित करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति बीआर गवई के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम जल्द से जल्द सात न्यायाधीशों वाली पीठ गठित करने का प्रयास करेंगे और इसी पीठ के निर्णय के बाद इन मामलों को उठाया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हर महिला जो जाना चाहती है, उसे जाना चाहिए। लेकिन देश में स्थिति विस्फोटक हो गई है और हम कोई हिंसा नहीं चाहते हैं। यह एक निर्णय है, लेकिन यह इस मुद्दे पर अंतिम शब्द नहीं है। शीर्ष अदालत ने सितंबर 2018 के अपने एक फैसले में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी।
नवंबर 2019 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को देखने की जिम्मेदारी एक बड़ी पीठ को सौंपी है। इसमें अन्य धर्मों के धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के प्रवेश से संबंधित मुद्दों को भी शामिल किया गया है।
बिंदु की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत के समक्ष दलील दी, हम सभी हिंसा से बचने के लिए ही यहां पर हैं। यह देश अहिंसा की नींव पर आधारित है और हम हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करते हैं।
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