नई दिल्ली । राजस्व विभाग ने डेटा विश्लेषण के जरिए 931 संदिग्ध जीएसटी धोखाधड़ी के मामलों की पहचान की है। विभाग ने धनवापसी के लिए इन धोखाधड़ी से संबंधित मामलों को खंगालना शुरू कर दिया है। चालू वित्तवर्ष में 27,000 करदाताओं ने देशभर में उल्टे शुल्क ढांचे (इनवर्टिड ड्यूटी स्ट्रक्चर) के साथ 28,000 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड दावे दायर किए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, "ऐसे करदाता, जिन्होंने टैक्स फाइल नहीं करने वालों से सामान की खरीद की हैं, उन्हें सत्यापन और जांच का सामना करना पड़ेगा।"
राजस्व विभाग जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिए कर चोरी का रास्ता अपनाने वालों के खिलाफसख्त रहा है, क्योंकि उम्मीद के मुताबिक कर प्राप्त नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने विभिन्न मामलों में पिछले महीने वित्तवर्ष 2018 से संबंधित 12 प्रमुख दस्तावेजों के साथ संदिग्ध व्यापारिक फर्मों को तलब किया था।
जीएसटी अधिकारियों ने पिछले साल नवंबर तक 7,164 संस्थाओं से जुड़े 6,641 मामलों की पहचान की और उन पर कथित तौर पर व्यवस्था के तहत कार्य नहीं करने के लिए मामला दर्ज किया गया।
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली, जयपुर और पंचकूला (हरियाणा) के बाद कोलकाता क्षेत्र में आईटीसी धोखाधड़ी के लिए ऐसे मामलों की अधिकतम संख्या दर्ज की गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में जांचकर्ताओं ने डेटा विश्लेषण के माध्यम से एक महत्वपूर्ण धोखाधड़ी के मामले का भंडाफोड़ किया है, जहां जालसाजों ने नकली आईटीआर क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए नकली बिल बनाने वाले लोग, मध्यस्थ डीलर, वितरक और हवाई चप्पलों के फर्जी निमार्ताओं सहित 500 से अधिक संस्थाओं का एक नेटवर्क तैयार किया।
जीएसटी प्राधिकरण की डेटा एनालिटिक्स विंग फर्जी चालान और धोखाधड़ी कर क्रेडिट से जुड़े दर्जनों मामलों की पहचान करने में सफल हुई है, जो आईजीएसटी रिफंड की सुविधा के माध्यम से संलग्न किए गए हैं।
--आईएएनएस
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