नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच का चेहरा माने जाने वाले अश्वनी महाजन ने कहा है कि अब स्वदेशी का समय आ गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
महाजन ने कहा कि घरेलू एप आरोग्य सेतु का विरोध करने वालों को चाहिए कि वे पहले चीन निर्मित टिकटॉक के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं।
महाजन ने आईएएनएस के साथ एक खास बातचीत में कहा कि सरकार 40 हजार से अधिक भारतीयों को संक्रमित करने वाली कोविड-19 महामारी के प्रसार के साथ ही स्वदेशी के महत्व को महसूस कर चुकी है।
कोरोनावायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में चीन की तरफ कथित तौर पर अधिक झुकाव रखने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन का ऑडिट (समीक्षा) कराने की भी महाजन ने मांग की।
यहां प्रस्तुत है महाजन से बातचीत के खास अंश :
प्रश्न : एक ओर आप टिकटॉक को लेकर चिंता प्रकट करते हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार के आरोग्य सेतु एप की अनिवार्यता पर जोर देते हैं, ऐसा क्यों?
उत्तर : सबसे पहले मुझे यह जानना है कि जब टिकटॉक अपने मार्केट शेयर का विस्तार कर रहा था और फेसबुक यूजर्स के डेटा बेच रहा था, तब ये तथाकथित बुद्धिजीवी कहां थे, जिनके पास निजी कानून को लेकर अधिक ज्ञान है।
मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि जब इस प्रकार के अन्य एप मार्केट पर राज्य कर रह थे, तब उन्होंने इन सभी वर्षों में लगभग आपराधिक चुप्पी क्यों बनाए रखी?
वहीं, जहां तक आरोग्य सेतु एप का संबंध है, यह जान बचाने के इरादे से, संपर्क ट्रेसिंग के एक स्पष्ट इरादे के साथ लाया गया है।
कई आलोचकों को इन विदेशी एप्स से कोई समस्या नहीं है, लेकिन महामारी को रोकने से संबंधित एक स्वदेशी एप से उन्हे चिंता पैदा होती है।
प्रश्न : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच आत्मनिर्भरता पर जोर दे रहे हैं। आपको क्या लगता है, आखिरकार स्वदेशी की बात आने पर सरकार और एसजेएम एक ही पृष्ठ पर आ गए हैं?
उत्तर : अचानक हृदय परिवर्तन होने से यह नहीं हुआ है। पिछले तीन वर्षों से सरकार ने आत्मनिर्भरता के महत्व को महसूस करना शुरू कर दिया है और इसके लिए वह काम कर रही है।
हालांकि, आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती चीन विरोधी भावना के बीच यह बात और अधिक समझ में आती है। चीन ने रोजगार पैदा करने वाले हमारे विनिर्माण व्यवसाय को मार दिया। ऐसे मैं आप कैसे नौकरियां पैदा करेंगे? सेवा क्षेत्र ऐसा नहीं कर सकता। ऐसे में स्वदेशी नई वास्तविकता होगी।
प्रश्न: आपने विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों के बारे में बात की। असंख्य रोजगार के नुकसान हुए हैं और अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है। आगे का रास्ता क्या है?
उत्तर: हां, लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है, लेकिन ऐसा सिर्फ अकेले भारत के साथ ही नहीं हुआ है। विश्व के कई देश प्रभावित हो रहे हैं।
राहत की बात यह है कि भोजन की मुख्य चिंता के संबंध में हम कृषि उपज के साथ आत्मनिर्भर हैं। दूसरी बात यह है कि भारत में जहां भी लोगों के भूखे रहने की खबर है वहां मदद पहुंचाई जा रही है। हालांकि, बेरोजगारी एक सच्चाई है लेकिन इसके चलते सरकार ने एमएसएमई जैसे कुछ क्षेत्रों पर बहुत ध्यान दिया है।
प्रश्न : कोरोनावायरस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भूमिका स्वयं जांच के दायरे में आ गई है। ऐसे में क्या आपको लगता है कि कोविड-19 संक्रमण की वैक्सीन तैयार होने पर यह संस्था इसका मूल्य तय करने में जन-समर्थक रुख अपनाएगा?
उत्तर : मैंने एक बार कहा था कि डब्ल्यूएचओ को बंद कर दिया जाना चाहिए। आज इसकी भूमिका पर सार्वजनिक रूप से बहस हो रही है। यहां तक कि अमेरिका ने भी इसकी आलोचना की है।
कई दवा कंपनियां डब्ल्यूएचओ को फाइनेंस करती रही हैं। इसलिए इसका ऑडिट कराया जाना चाहिए। इसके बाद लोगों को पता चल जाएगा कि डब्ल्यूएचओ दुनिया को वैक्सीन, खाने की आदतों आदि के बारे में कैसे गुमराह करता आया है।
--आईएएनएस
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