नई दिल्ली। सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए मंगलवार को लोकसभा में संशोधित बिल पास हुआ। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले को मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। विधेयक आज सरकार ने राज्यसभा में पेश कर दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
केंद्रीय मंत्री
थावरचंद गहलोत ने इसे पेश किया। बिल के पेश होते ही राज्यसभा में हंगामा
शुरू हो गया। हंगामे के बाद कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। कार्यवाही फिर शुरू हो गई है। फिलहाल गृह मंत्री राजनाथ सिंह जवाब दे रहे हैं। इसके बाद आरक्षण बिल पर 8 घंटे तक चर्चा होगी।
अब केंद्र सरकार के सामने इस बिल को राज्यसभा में पास कराने की चुनौती है। राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं है, ऐसे में आज सरकार किस प्रकार इस बिल का पास कराती है ये देखने वाला होगा।
गौरतलब है कि राज्यसभा में एनडीए सरकार बहुमत से दूर है, हालांकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा में जिस तरह इस बिल का समर्थन किया है। उससे लगता है कि सरकार के लिए ये बिल राज्यसभा में आसानी से पास हो जाएगा।
राज्यसभा में है असली परीक्षा
सरकार को लोकसभा में बिल पास कराने में कोई परेशानी नहीं हुई। उपस्थित
326 सदस्यों में से 323 ने बिल के समर्थन में वोट दिया और महज 3 सदस्यों ने
विरोध में वोट दिया। सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में है क्योंकि यहां
उपस्थित सदस्यों में से दो-तिहाई का समर्थन पाना आसान नहीं होगा। राज्यसभा
में 246 सदस्य हैं और अगर सभी सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं तो बिल को
164 वोट की जरूरत पड़ेगी। विपक्ष यहां अपने दबदबे का इस्तेमाल कर सकता है।
कम से कम 123 सदस्यों की मौजूदगी जरूरी
राज्यसभा में कुल 246 सदस्य हैं। बिल को पास करने के लिए कम से कम
दो-तिहाई वोट की जरूरत तो है ही, साथ में यह भी जरूरी है कि वोटिंग में कम
से कम आधे सदस्य मौजूद रहे यानी कम से कम 123 सदस्यों का वोटिंग में हिस्सा
लेना जरूरी है।
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