नई दिल्ली। संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को ब्रिटेन स्थित रिसर्च कंपनी कमपेरीटेक के उस दावे को बेतुका और संदिग्ध करार दिया, जिसमें कंपनी ने बताया है कि जब नागरिकों पर निगरानी रखने की बात आती है तो, भारत केवल रूस और चीन से ही पीछे है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत बायोमेट्रिक डाटा के व्यापक और आक्रामक उपयोग के मामले में चीन, मलेशिया, पाकिस्तान और अमेरिका के बाद पांचवां सबसे खराब देश है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंत्री ने कहा कि आईटी अधिनियम के तहत उचित प्रावधान हैं और डाटा संरक्षण के लिए कानून बनाने का कार्य चल रहा है। इसके अलावा यह आधारहीन कयास हैं कि आधार डाटाबेस में परचेज, बैंक खाता, बीमा और अन्य जानकारियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा व्हाट्सअप से इनक्रिप्शन पर समझौता किए बगैर ट्रेसबिलिटी के संबंध में आग्रह को संभावित निजता के हनन के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया।
इसलिए जब यह रिपोर्ट आती है कि भारत में कानून व अदालतें डाटा की निजता के संरक्षण पर काम कर रही है, तो लोग भारत में कानूनी पक्ष को देखे बिना ही किसी नतीजे पर पहुंच जाते हैं। मंत्री ने कहा, कथित रूप से नागरिकों की निगरानी रखने के लिए भारत सरकार की छवि खराब करने के ये प्रयास पूरी तरह से गुमराह करने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार निजता का अधिकार समेत नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार कानून के प्रावधानों और निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार, सख्ती से काम करती है। इसे सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं कि किसी भी निर्दोष नागरिक का उत्पीडऩ न हो और उसकी निजता का हनन न हो।
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