नई दिल्ली । मेरे प्यारे देशवासियो, ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आजादी के इस पावन पर्व की सभी देशवासियों को बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
आज जो हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, उसके पीछे मां भारती के लाखों बेटे-बेटियों, उनका त्यासग, उनका बलिदान और मां भारती को आजाद कराने के संकल्पर के प्रति उनका समर्पण, आज ऐसे सभी हमारे स्वातंत्र्य सेनानियों का, आजादी के वीरों का, नरबांकुरों का, वीर शहीदों का नमन करने का यह पर्व है।
हमारे फौज के जांबाज जवान, हमारे अर्धसैनिक बल, हमारे पुलिस के जवान, सुरक्षा बल से जुड़े हुए, हर कोई मां भारती की रक्षा में जुटे रहते हैं। सामान्ये मानव की सुरक्षा में जुटे रहते हैं। आज उन सबको भी हृदयपूर्वक, आदरपूर्वक स्मसरण करने का, उनके महान त्याेग, तपस्याै को नमन करने का पर्व है।
एक नाम और श्री अरविंद घोष, क्रांति दूत से लेकर अध्या त्मर की यात्रा, आज उनके संकल्प, उनकी जन्म जयंती है। हमें उनके संकल्पोंू को- हमारे संकल्पों को पूर्ण करने को उनकी तरफ से आशीर्वाद बना रहे। हम एक विशेष परिस्थिति से गुजर रहे हैं। आज छोटे-छोटे बालक मेरे सामने नजर नहीं आ रहे हैं- भारत का उज्ज्वल भविष्य । क्यों ? कोरोना ने सबको रोका हुआ है।
इस कोरोना के कालखंड में लक्षावधि कोरोना warriors चाहे doctors हों, nurses हों, सफाईकर्मी हों, ambulance चलाने वाले लोग हों... किस-किस के नाम गिनाऊंगा। उन लोगों ने इतने लंबे समय तक जिस प्रकार से ‘सेवा परमो धर्म:’ इस मंत्र को जी करके दिखाया है, पूर्ण समर्पण भाव से मां भारती के लालों की सेवा की है, ऐसे सभी कोरोना warriors को भी मैं आज नमन करता हूं।
इस कोरोना के कालखंड में, अनेक हमारे भाई-बहन इस कोरोना के संकट में प्रभावित हुए हैं। कई परिवार प्रभावित हुए हैं। कईयों ने अपनी जान भी गंवाई है। मैं ऐसे सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता प्रकट करता हूं... और इस कोरोना के खिलाफ मुझे विश्वाकस है 130 करोड़ देशवातसियों की अदम्य. इच्छा शक्ति, संकल्पा शक्ति हमें उसमें भी विजय दिलाएगी और हम विजयी होकर रहेंगे।
मुझे विश्वास है कि पिछले दिनों भी हम एक प्रकार से अनेक संकटों से गुजर रहे हैं। बाढ़ का प्रकोप खासकर कि north-east, पूर्वी भारत, दक्षिण भारत, पश्चिमी भारत के कुछ इलाके, कई landslide - अनेक दिक्कततों का सामना लोगों को करना पड़ा है। अनेक लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मैं उन परिवारों के प्रति भी अपनी संवेदना व्यक्तक करता हूं... और राज्यन सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिला करके - ऐसी संकट की घड़ी में हमेशा देश एक बनकर के - चाहे केंद्र सरकार हो, चाहे राज्य सरकार हो, हम मिलकर के तत्काेल जितनी भी मदद पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं, सफलतापूर्वक कर रहे हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, आजादी का पर्व, हमारे लिए यह स्व तंत्रता का पर्व, आजादी के वीरों को याद कर-करके नए संकल्पोंक की ऊर्जा का एक अवसर होता है। एक प्रकार से हमारे लिए ये नई प्रेरणा लेकर के आता है, नई उमंग, नया उत्साोह लेकर के आता है... और इस बार तो हमारे लिए संकल्पक करना बहुत आवश्यंक भी है, और बहुत शुभ अवसर भी है क्यों कि अगली बार जब हम आजादी का पर्व मनाएगें, तब हम 75वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा अवसर है और इसलिए आज, आने वाले दो साल के लिए बहुत बड़े संकल्प लेकर के हमें चलना है- 130 करोड़ देशवासियों को चलना है। आजादी के 75वें वर्ष में जब प्रवेश करेंगे और आजादी के 75 वर्ष जब पूर्ण होंगे, हम हमारे संकल्पोंत की पूर्ति को एक महापर्व के रूप में भी मनाएगें।
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे पूर्वजों ने अखंड, एकनिष्ठ। तपस्याल करके, त्यामग और बलिदान की उच्चय भावनाओं को प्रस्थापित हुए हमें जिस प्रकार से आजादी दिलाई है, उन्हों ने न्यौछावर कर दिया... लेकिन हम ये बात न भूलें कि गुलामी के इतने लंबे कालखंड में कोई भी पल ऐसा नहीं था, कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं था कि जब आजादी की ललक न उठी हो। आजादी की इच्छा को लेकर के किसी न किसी ने प्रयास न किया हो, जंग न की हो, त्यांग न किया हो... और एक प्रकार से जवानी जेलों में खपा दी, जीवन के सारे सपनों को फांसी के फंदों को चूमकर के आहूत कर दिया। ऐसे वीरों को नमन करते हुए अद्भुत... एक तरफ सशस्त्र क्रांति का दौर, दूसरी तरफ जनआंदोलन का दौर... पूज्यी बापू के नेतृत्वस में राष्ट्र जागरण के साथ जनआंदोलन की एक धारा ने आजादी के आंदोलन को एक नई ऊर्जा दी और हम आजादी के पर्व को आज मना पा रहे हैं।
इस आजादी की जंग में भारत की आत्माप को कुचलने के भी निरंतर प्रयास किये... अनगिनत प्रयास हुए। भारत को अपनी संस्कृ ति, परंपरा, रीति-रिवाज इन सबसे उखाड़ फेंकने के लिए क्यान कुछ नहीं हुआ। वो कालखंड था- सैंकड़ों सालों का कालखंड था। साम, दाम, दंड, भेद सब कुछ अपने चरम पर था... और कुछ लोग तो ये मानकर चलते थे कि हम तो ‘यावत् चंद्र दिवाकरौ’ यहां पर राज करने के लिए आए हैं। लेकिन आजादी की ललक ने उनके सारे मंसूबों को जमींदोज कर दिया। उनकी सोच थी कि इतना बड़ा विशाल देश, अनेक राजे-रजवाड़े, भांति-भांति की बोलियां, पहनावे, खान-पान, अनेक भाषाएं, इतनी विविधताओं के कारण बिखरा हुआ देश कभी एक होकर के आजादी की जंग लड़ नहीं सकता। लेकिन इस देश की प्राण-शक्ति वो पहचान नहीं पाए... अंतर्भूत जो प्राण शक्ति है... एक तांता- एक सूत्र जो हम सबको बांधकर के रखे हुए है, उसने आजादी के उस पर्व में पूरी ताकत के साथ जब वो मैदान में आया तो देश आजादी की जंग में विजयी हुआ।
हम ये भी जानते हैं कि वो कालखंड था, विस्तांरवाद की सोच वालों ने दुनिया में जहां भी फैल सकते थे, फैलने का प्रयास किया... अपने झंडे गाड़ने की कोशिश की। लेकिन भारत का आजादी का आंदोलन दुनिया के अंदर भी एक प्रेरणा का पुंज बन गया... दिव्य़ स्तंकभ बन गया और दुनिया में भी आजादी की ललक जगी। और जो लोग विस्तावरवाद की अंधी दौड़ में लगे हुए थे, अपने झंडे गाड़ने में लगे थे, उन्होंरने अपने इन मंसूबों को- विस्ताआरवाद के इन मंसूबों को- पार करने के लिए दुनिया को दो-दो महा-विश्व युद्धों में झोंक दिया... मानवता को तहस-नहस कर दिया, जिंदगियां तबाह कर दीं, दुनिया को तबाह कर दिया।
लेकिन ऐसे कालखंड में भी, युद्ध की विभीषिका के बीच भी, भारत ने अपनी आजादी की ललक को नहीं छोड़ा... न कमी आने दी, न नमी आने दी। देश... बलिदान करने की जरूरत पड़ी, बलिदान देता रहा... कष्ट झेलने की जरूरत पड़ी, कष्ट झेलता रहा, जनांदोलन खड़ा करने की जरूरत पड़ी, जनांदोलन खड़ा करता रहा है। और भारत की लड़ाई ने दुनिया में आजादी के लिए एक माहौल बना दिया... और भारत की एक शक्ति से दुनिया में जो बदलाव आया, विस्तादरवाद के लिए चुनौती बन गया भारत- इतिहास इस बात को कभी नकार नहीं सकता है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
आजादी की लड़ाई में, पूरे विश्वल में भारत ने भी एकजुटता की ताकत, अपनी सामूहिकता की ताकत, अपने उज्ववल भविष्य के प्रति अपना संकल्प, समर्पण और प्रेरणा- उस ऊर्जा को ले करके देश आगे बढ़ता चला गया।
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