आठ बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके पासवान ने आईएएनएस से कहा, यह 2010
का मामला है, लेकिन इस फाइल को दबाकर रखा गया। यह अलग बात है कि एनडीए की
सरकार बनने के बाद भी इसकी जानकारी केंद्र सरकार को नहीं दी गई। किसी भी
पार्टी की सरकार हो, अगर वह आरक्षण के खिलाफ कोर्ट में बहस करती है तो वह
आरक्षण विरोधी है। बिहार के कद्दावर नेता पासवान ने कहा कि हाल ही में
उन्होंने तकरीबन 100 सांसदों के साथ बैठक की है जिसमें एकमत से बात आई कि
प्रमोशन के मामले में संविधान की नौवीं अनुसूची में डाल दिया जाए जिससे ऐसे
मामले अदालत में न अटकें।
वर्तमान में राज्यसभा सदस्य पासवान ने कहा, हम
चाहते हैं कि आरक्षण के मसले को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाल दिया जाए
ताकि अदालत में यह मामला न जाए। प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट और सरकार
चलाने के तौर तरीके के बारे में राम विलास पासवान का कहना था कि उन्होंने
देश के छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है और दावे से देश को बताना
चाहते हैं कि मोदी जैसा अपने मातहत को आजादी देने वाला प्रधानमंत्री
उन्होंने नहीं देखा।
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