नई दिल्ली। भारत समेत एशिया के 16 देशों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) के तहत मुक्त व्यापार समझौते को लेकर सहमति पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी करार में ही शामिल होगा। वहीं, आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बैंकॉक पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान में शामिल देशों के साथ भारत के व्यापारिक करार की समीक्षा की बात की, लेकिन आरसेप के मसले पर उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं कहा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रधानमंत्री ने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ व्यापार संतुलन बनाने पर बल दिया है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने आरसेप के मसले पर भारत सरकार के रुख का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार हमारी उम्मीदों पर खरी उतरी है और देश के हित के लिए काम किया है। सरकार ने देश की कृषि, डेयरी, विनिर्माण क्षेत्र और कुल मिलाकर पूरी अर्थव्यवस्था के हित के लिए काम किया है। यह हमारे लिए खुशी की बात है और हम सरकार को इसके लिए धन्यवाद देते हैं।
आरसेप के तहत मुक्त व्यापार समझौता एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के 10 सदस्य देशों के अलावा छह अन्य देशों चीन, जापान दक्षिण कोरिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित है। भारत की बड़ी चिंता चीन से होने वाला सस्ता आयात है, जिससे घरेलू कारोबार पर असर पड़ सकता है। साथ ही, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से सस्ते दुग्ध उत्पादों का आयात होने से घरेलू डेरी उद्योग प्रभावित हो सकता है। इसी चिंता को लेकर देश के किसान संगठनों ने सरकार से आरसेप के तहत व्यापार करार में डेयरी उत्पादों को शामिल नहीं करने की मांग की है।
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