नई दिल्ली। मंगलवार को राज्यसभा में लंबी चर्चा के बाद जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया गया। इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके पीछे वजह ये है कि इस बिल में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक के न्यासी (ट्रस्टी) के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष को हटाए जाने का प्रावधान किया गया है। निचले सदन लोकसभा में यह विधेयक पिछले सत्र में ही पारित हो चुका है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस विधेयक के हिसाब से न्यासी के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष को हटाकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष को रखने का प्रावधान किया गया है। अगर नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को न्यासी बनाया जाएगा। राज्यसभा ने भोजनावकाश के बाद लगभग तीन घंटे की बहस के बाद इस विधेयक को पास कर दिया।
राज्यसभा में यह विधेयक सात अगस्त को पेश किया गया था। विधेयक में कांग्रेस के सुब्बीरामी रेड्डी ने एक संशोधन पेश किया था जिसे उन्होंने वापस ले लिया। बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जलियांवाला बाग में हजारों लोगों ने कुर्बानी दी। भविष्य में ऐसा कभी नहीं कहा जाना चाहिए कि हमने खून की एक भी बूंद बहाए बिना आजादी हासिल की।
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