नई दिल्ली । राज्यसभा ने बुधवार को
आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पारित किया। यह विधेयक जांच
अधिकारियों को दोषियों और गिरफ्तार व्यक्तियों सहित व्यक्तियों की कुछ
पहचान योग्य जानकारी (उंगलियों के निशान और पैरों के निशान) एकत्र करने में
सक्षम बनाता है।
इसे लोकसभा ने 4 अप्रैल को पारित किया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आपराधिक प्रक्रिया
(पहचान) विधेयक, 2022 को राज्यसभा की एक प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव
मत विभाजन के बाद खारिज हो गया। पक्ष में 59 मत और विपक्ष में 97 मत पड़े।
सदन
में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्षी
सांसदों द्वारा मानवाधिकारों के हनन को लेकर जो चिंता जताई गई है, वह सही
नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अपराध के शिकार लोगों के भी मानवाधिकार होते
हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कानून की गिरफ्त में आने वालों के भी
मानवाधिकार होते हैं।
देश में दोषसिद्धि की दर बताते हुए उन्होंने
कहा कि दुष्कर्म के मामलों में केवल 39 प्रतिशत, चोरी के मामलों में 38
प्रतिशत और बाल शोषण के मामलों में 27 प्रतिशत दोष सिद्ध हुए हैं। उन्होंने
कहा, "तो, क्या हमें देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए
बेहतर व्यवस्था के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए?"
कानूनों की सख्ती
का जिक्र करते हुए शाह ने कहा, "दक्षिण अफ्रीका में सजा की दर 82 फीसदी,
ब्रिटेन में 84 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया में 69 फीसदी, 94 फीसदी और अमेरिका में
93 फीसदी है।"
यह देखते हुए कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य देश में
दोषसिद्धि दर को बढ़ाने के लिए अभियोजन एजेंसियों को मजबूत करना है और यह
तभी संभव होगा, जब अभियोजन एजेंसियों के पास वैज्ञानिक साक्ष्य होंगे।
इसके
अलावा, उन्होंने सदन को यह भी आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा एकत्र किए गए
डेटा और रिकॉर्ड को तीसरे पक्ष द्वारा एक्सेस नहीं किया जाएगा।
यह
बताते हुए कि यह विधेयक किसी की निजता का उल्लंघन करने का इरादा नहीं रखता
है, गृहमंत्री ने कहा कि इन आंकड़ों को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो
(एनसीआरबी) में सुरक्षित रूप से संरक्षित किया जाएगा और सरकार इन एकत्रित
डेटा का सुरक्षित रूप से उपयोग करने के लिए नीति तैयार करने के लिए एक
समिति का गठन करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि एनसीआरबी के पास एक
करोड़ के आंकड़े के प्रिंट का डेटा है और इस विधेयक के पारित होने के बाद
यह डेटा काफी बढ़ जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि एक बार ये डेटा
एकत्र हो जाने के बाद पुलिस स्टेशन संदिग्ध का नमूना एनसीआरबी को भेजेगा और
मिनटों के भीतर, फिंगर प्रिंट या अन्य पहचान का मिलान किया जाएगा और यदि
संदिग्ध का विवरण है, तो उसे आसानी से पहचाना जा सकता है और जानकारी सीधे
संबंधित थाने को भेजी जाएगी।
जहां यह साक्ष्य संग्रहीत किया जाएगा,
वहां डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए किसी भी जांच एजेंसी
की एनसीआरबी डेटा सेंटर तक सीधी पहुंच नहीं होगी।
शाह ने यह भी कहा
कि आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियमों में संशोधन करते हुए ड्राफ्ट
गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भेजे जाएंगे और विस्तृत जांच के बाद
विधेयकों को आगे की चर्चा के लिए संसद में लाया जाएगा।
इससे पहले
आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक पर बहस करते हुए कांग्रेस सांसद पी.
चिदंबरम ने सरकार से स्थायी समिति या एक चयन समिति को संदर्भित करने का
आग्रह किया और विधेयक को 'असंवैधानिक और अवैध' करार दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि एकत्र किए गए रिकॉर्ड को किसी भी कानून प्रवर्तन एजेंसी के साथ साझा किया जा सकता है।
--आईएएनएस
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