नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता का सवाल पहले भी उठ चुका है और उन्होंने इस मुद्दे पर उस समय जोरदार तरीके से बचाव किया था, जब इसे संसद की आचार समिति के समक्ष उठाया गया था। वर्ष 2016 में इस मामले को संसद की आचार समिति में उठाया गया था, जिसके अध्यक्ष भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राहुल गांधी उस समय कांग्रेस अध्यक्ष नहीं थे, और उन्होंने कथित तौर पर समिति के समक्ष कहा था कि वे चकित हैं कि उनकी ब्रिटिश नागरिकता की शिकायत का संज्ञान लिया गया है, जबकि यह व्यवस्थित भी नहीं। उन्होंने यह भी कहा था कि इस तरह का कोई आवेदन ब्रिटिश गृह विभाग में उपलब्ध होगा। रपटों के अनुसार, उन्होंने कहा था कि उन्होंने कभी भी ब्रिटिश नागरिकता पाने की कोशिश नहीं की और यह शिकायत उनकी छवि खराब करने की एक साजिश का हिस्सा है।
बता दें कि दिसंबर 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता के संबंध में पेश किए गए सबूतों को खारिज कर चुका था। याचिका वकील एम.एल. शर्मा ने दायर की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने फर्जी बताया था। न्यायालय ने उस समय दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए थे। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा था, आपको कैसे पता कि ये दस्तावेज प्रामाणिक है? शर्मा द्वारा सुनवाई पर जोर दिए जाने पर न्यायमूर्ति दत्तू ने शर्मा से कहा था कि मेरी सेवानिवृत्ति के बस दो दिन शेष बचे हैं। आप मुझे मजबूर मत कीजिए कि मैं आपके ऊपर जुर्माना लगा दूं।
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