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एडहॉक टीचर्स के विस्थापन का विरोध, डीयू में कक्षाएं ठप्प

Protest against displacement of adhoc teachers, classes in DU stalled - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । शिक्षकों के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में सैकड़ों एडहॉक टीचर्स की नौकरी खतरे में है। दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति की जा रही है। शिक्षक संघों का मानना है कि इस दौरान एडॉक पर वर्षों से पढ़ा रहे टीचर्स को नजरअंदाज किया जा रहा है। यही कारण है कि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने समायोजन समर्थन, विस्थापन विरोध और कॉलेजों की ग्रांट की मांगों को लेकर तीन दिन की हड़ताल की। हड़ताल में सैंकडों शिक्षक रहे।
तीन दिवसीय हड़ताल के दौरान विश्वविद्यालय में कक्षाएं एवं प्रशासनिक कार्य ठप्प रहा। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने लगातार क्रमश जंतर मंतर, मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय में धरना, मार्च और प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि डीयू में कई वर्ष के लंबे इंतजार के बाद स्थाई नियुक्ति के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया शुरू हुई है। इस प्रक्रिया में में लंबे समय से कार्यरत कई तदर्थ शिक्षकों के विस्थापन के विरोध में डूटा निरंतर आवाज उठा रहा है। डूटा अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी का कहना है कि डूटा जीरो विस्थापन के हक में है और अभी तक जो तदर्थ शिक्षक विस्थापित हुए उनको जल्द ही फिर किया जाना चाहिए।

डूटा अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने कहा कि तदर्थ एवं अस्थायी शिक्षकों का विस्थापन अत्यंत कष्टदायक है, क्योंकि यह शिक्षकों के जीवन एवं रोजी-रोटी का सवाल हैक शिक्षकों का विस्थापन उनकी योग्यता और वर्षों तक विश्वविद्यालय को दिए गए योगदान की अवहेलना करना है। प्रो भागी ने बताया कि साक्षात्कार प्रक्रिया में शून्य विस्थापन की नीति को अपनाते हुए कॉलेजों में पढ़ा रहे तदर्थ व अस्थायी शिक्षकों को नियमित किया जाए क हमारी विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग है कि सभी तदर्थ व अस्थायी शिक्षकों का 200 प्वाइंट रोस्टर का पालन करते हुए एकबारगी अध्यादेश के माध्यम से समायोजन किया जाए।

प्रो भागी ने कहा कि डीयू प्रशासन शिक्षा मंत्रालय को ईडब्ल्यूएस आरक्षण से बढ़ी 25 प्रतिशत सीटें लेने के लिए सभी कॉलेजों की ई डब्ल्यू एस सूची जल्द से जल्द भेजें क यूजीसी से मांग की गई है कि एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर को पीएचडी तथा शोध पत्रों में छूट दी जाए। डूटा के लिए पुरानी पेंशन योजना को पुन लागू करने का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है।

प्रो भागी ने कहा कि हड़ताल में एक मुख्य मुद्दा दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों में चल रहे आर्थिक संकट का भी है। पिछले कई वर्षों से दिल्ली सरकार अनियमित और अपर्याप्त ग्रांट जारी कर रही है जिसके कारण शिक्षक और कर्मचारियों को समय पर वेतन और अन्य भत्ते नहीं मिल रहे हैं। दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों में प्रबन्ध समितियां के अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप से अकादमिक वातावरण प्रभावित हो रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय को तुरन्त इस का संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अकादमिक प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो सके। डूटा ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि समय पर पर्याप्त ग्रांट जारी की जाए और शिक्षक पदों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार इन पदों को शीघ्र संस्तुति प्रदान करे।

डूटा सचिव डा सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि जो तदर्थ शिक्षक साथी साक्षात्कार प्रक्रिया में बाहर हो गए हैं, उनके लिए विश्वविद्यालय को विशेष तदर्थ शिक्षक भर्ती की शुरूआत करनी चाहिए क कॉलेज ऑफ आर्ट को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन लिया जाए। डीयू प्रशासन से ज्ञापन देकर कहा गया है कि डी यू सभी कॉलेजों को निर्देश जारी करे कि ओ बी सी सैकिंड ट्रेंच के पदों को सब कॉलेज अपने रोस्टर में अवश्य शामिल करें।

--आईएएनएस

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Web Title-Protest against displacement of adhoc teachers, classes in DU stalled
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