मोदी ने गलवान घाटी झड़प में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि भी
अर्पित की। उन्होंने यह संदेश भी दिया कि भारत के संयम को अन्यथा नहीं देखा
जाना चाहिए। मोदी ने कहा, "हम वो लोग हैं, जो बांसुरी बजाने वाले भगवान
कृष्ण की पूजा करते हैं, लेकिन हम वो लोग भी हैं जो भगवान कृष्ण को मानते
हैं, जिन्होंने सुदर्शन चक्र धारण किया था।"
मोदी ने लद्दाख क्षेत्र
में भारत के सशस्त्र बलों को संबोधित करते हुए कहा कि गलवान के बफीर्ले
पानी से लेकर हर पर्वत शिखर तक, सभी भारतीय सैनिकों की वीरता के गवाह हैं।
उन्होंने 14 कोर की बहादुरी की प्रशंसा की।
सूत्रों ने कहा कि मोदी
शुक्रवार की सुबह लद्दाख पहुंचे और उन्हें नीमू में एक फॉरवर्ड लोकेशन पर
सेना, वायु सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा क्षेत्र की स्थिति के
बारे में सूचित किया गया। समुद्र तल से 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नीमू
दुर्गम इलाके में है, जो जांस्कर रेंज से घिरा हुआ है और सिंधु के तट पर
है।
प्रधानमंत्री मोदी, सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज
मुकुंद नरवाने लेह में सैन्य अस्पताल में घायल सैनिकों के साथ बातचीत भी
करेंगे, जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ेगा।
इससे पहले मोदी ने 17
जून को कहा था कि 15 जून की रात गलवान घाटी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी
(पीएलए) के सैनिकों के खिलाफ लड़ने वाले 20 सैनिकों द्वारा दिया गया बलिदान
व्यर्थ नहीं जाएगा।
--आईएएनएस
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