नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नाम को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए रंजन गोगाई को नामित किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं। ये सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियां होती हैं।
केंद्र सरकार ने सोमवार की शाम इस संबंध में अधिसूचना जारी की। गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है, "भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (तीन) के साथ पठित खंड (एक) के उपखंड (क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति, एक मनोनीत सदस्य की सेवानिवृत्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए रंजन गोगोई को राज्यसभा का सदस्य मनाेनीत करते हैं।"
18 नवंबर, 1954 को असम में जन्मे रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई की। उनके पिता केशव चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री थे। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था।
28 फरवरी, 2001 को रंजन गोगोई को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति गोगोई 23 अप्रैल, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने थे और बाद में मुख्य न्यायाधीश भी बने।
नवंबर 2019 में हुए थे रिटायर: न्यायमूर्ति गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश रहे। उन्होंने देश के
प्रधान न्यायाधीश का पद तीन अक्टूबर 2018 से 17 नंवबर 2019 तक संभाला। रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद पर 13 महीने के कार्यकाल के बाद वह 17 नवंबर 2019 को इस पद से रिटायर हुए थे। यहीं नहीं राम मंदिर का ऐतिहासिक फैसला जो लिया गया था वह भी रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने लिया था।
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