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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 71 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से किया सम्मानित, दिग्गजों ने साझा किए अनुभव

President Draupadi Murmu honoured 71 personalities with Padma Awards, veterans shared their experiences - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। दिल्ली में सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खेल, चिकित्सा, विज्ञान, कला और सामाजिक कार्य जैसे विविध क्षेत्रों में भारत का नाम रोशन करने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। आईएएनएस से बातचीत में इन लोगों ने अपने अनुभव, जज्बात, और देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साझा की। हॉकी में अद्वितीय गोलकीपिंग के लिए जाने जाने वाले पीआर श्रीजेश को खेल के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। पूर्व भारतीय हॉकी गोलकीपर और वर्तमान जूनियर भारतीय हॉकी टीम के कोच, श्रीजेश ने दो ओलंपिक कांस्य पदक और तीन बार गोलकीपर ऑफ द ईयर का खिताब जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मैं इस सम्मान को पाकर बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मुझे बहुत गर्व है। मैं यह उपलब्धि हासिल करने में मदद करने के लिए टीम के सभी साथियों काे धन्यवाद करना चाहूंगा।” उनकी यह बात उस सामूहिक भावना को दर्शाती है, जो खेल में भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है। श्रीजेश की यात्रा केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानी नहीं, बल्कि उस टीमवर्क की मिसाल है, जिसने भारतीय हॉकी को वैश्विक मंच पर फिर से स्थापित किया।
चिकित्सा के क्षेत्र में प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार महापात्रा को पद्मश्री से नवाजा गया। वह एक प्रख्यात न्यूरोसर्जन हैं, जिन्होंने एम्स में अपने कार्यकाल के दौरान शोध पत्र प्रकाशित किए, किताबें लिखीं, और कई शोध परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मैं पहले सरकार को धन्यवाद करूंगा। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। भारत में पद्म पुरस्कार पाना बहुत बड़ी बात है। मैंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट में 22 साल काम किया, वहां प्रोफेसर और डीन था। रिटायरमेंट के बाद मैं ओडिशा चला गया, जहां मैं एक अनुसंधान संस्थान में वाइस चांसलर था।” उनकी यह बात उस समर्पण को दर्शाती है, जिसने न केवल चिकित्सा विज्ञान को समृद्ध किया, बल्कि अनगिनत मरीजों के जीवन को भी बचाया।
विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विनोद कुमार धाम को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। “पेंटियम के जनक” के रूप में मशहूर हुए विनोद धाम ने पेंटियम माइक्रोप्रोसेसर के विकास में अपनी दूरदर्शिता से दुनिया भर में कंप्यूटिंग को सुलभ बनाया। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “यह पुरस्कार भारत की प्रगति की पहचान है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत टेक्नोलॉजी में तेजी से तरक्की कर रहा है। डिजिटल इंडिया का कॉन्सेप्ट इतना व्यापक है कि इसमें हर चीज शामिल हो सकती है।” उन्होंने सेमीकंडक्टर, एआई, और क्वांटम टेक्नोलॉजी में भारत की प्रगति पर जोर दिया, साथ ही यह भी बताया कि टेक्नोलॉजी का सही उपयोग मानवता के लिए वरदान हो सकता है।
कला के क्षेत्र में नरेन गुरुंग को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। सिक्किम से आने वाले इस कलाकार ने अपनी कला और साहित्य के माध्यम से सिक्किम की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जन्‍म दिया। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ इस अवसर पर होना बहुत अच्छा लगा। मैं लोक कला, साहित्य, और परंपराओं पर काम करता हूं। मैंने किताबें लिखी हैं, मैं गायक, डांसर, और कोरियोग्राफर हूं। यह बहुमुखी प्रतिभा सिक्किम की सांस्कृतिक समृद्धि को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रतीक है।"
सामाजिक कार्य के क्षेत्र में सुरेश हरिलाल सोनी को पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह गुजरात के सहयोग कुष्ठ यज्ञ ट्रस्ट के संस्थापक हैं, उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर 1988 में 20 कुष्ठ पीड़ितों और उनके बच्चों के लिए इस ट्रस्ट की शुरुआत की। आज यह ट्रस्ट 1500 से अधिक लोगों को आश्रय और सम्मान दे रहा है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हमारी संस्था में कोई सरकारी अनुदान नहीं लिया जाता। भगवान की कृपा से दान आता है। हम लोगों को प्रेम देते हैं और वे हमें बहुत प्रेम करते हैं।” उनकी यह बात उस मानवता की भावना को दर्शाती है, जो समाज के सबसे वंचित वर्गों को भी सम्मानजनक जीवन दे सकती है।
कला के क्षेत्र में डॉ. जसपिंदर नरूला कौल को पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह एक प्रसिद्ध पार्श्व गायिका हैं। जिनके गाने विभिन्न भाषाओं और संगीत शैलियों में गूंजते हैं। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “50 साल की तपस्या के बाद यह पुरस्कार मिला। यह साधना है, इसे पूरे दिल से करना चाहिए।” उनकी यह बात उस समर्पण को दर्शाती है, जो एक कलाकार को साधारण से असाधारण बनाता है।
कला के क्षेत्र में श्री अद्वैत चरण गणनायक को भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह एक प्रसिद्ध मूर्तिकार, जिनकी कला भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को दर्शाती है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “यह पुरस्कार जिम्मेदारी बढ़ाता है। अब हमें देश के लिए सोचना है। गांव से शुरू करके पूरी दुनिया तक अपनी कला को ले जाना है।”
सुजनी शिल्प की संरक्षक निर्मला देवी को भी कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनकी कढ़ाई का काम बिहार से लेकर लंदन के संग्रहालयों तक प्रदर्शित हो चुका है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मुझे बहुत खुशी हुई। मैं साड़ियों पर कला बनाती हूं, इसके लिए मुझे यह पुरस्कार मिला।” उनकी सादगी और समर्पण सुजनी कला को वैश्विक मंच पर ले जाने की कहानी बताती है।
कला के क्षेत्र में डॉ. मदुगुला नागफनी सरमा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह एक संस्कृत और तेलुगु कवि हैं, जिन्होंने अवधानम की कला को पुनर्जन्‍म दिया। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “52 साल से मैं यह कला कर रहा हूं। 2000 से अधिक विद्वानों के सवालों का जवाब दे चुका हूं। यह पुरस्कार मुझे बहुत खुशी देता है।”
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में तुषार दुर्गेशभाई शुक्ला को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। गुजराती भाषा और संस्कृति को अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से जीवित रखने वाले इस कवि ने आईएएनएस से कहा, “पद्म श्री के साथ जिम्मेदारी बढ़ गई है। मैं अपनी कलम से समाज और प्रशासन के बीच सेतु बनाना चाहता हूं।”
कला के क्षेत्र में पंडित रोनू मजूमदार को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। विश्व प्रसिद्ध बांसुरी वादक, जिन्होंने बांसुरी को युवा पीढ़ी में लोकप्रिय बनाया। आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा, “50 साल की बांसुरी की सेवा के लिए यह पुरस्कार मिला। मैं इसे अपने गुरुओं और मां को समर्पित करता हूं।”
पाककला के क्षेत्र में डॉ. के. दामोदरन को पद्म श्री से सम्मानित किया गया। एक प्रसिद्ध शेफ, जिन्होंने तमिलनाडु की मध्याह्न भोजन योजना में योगदान दिया। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “40 साल के करियर में मैंने 8000 लोगों को रोजगार दिया। यह पुरस्कार मैं अपने छात्रों और युवा शेफ्स को समर्पित करता हूं।”
विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में डॉ. सुरिंदर कुमार वासल को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। मक्का की सुवान-1 किस्म के विकास में उनकी भूमिका और विश्व खाद्य पुरस्कार उनकी उपलब्धियों का प्रमाण है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए मेरे काम की मान्यता है।” उनकी यह बात कृषि विज्ञान में भारत की प्रगति को दर्शाती है।
कला के क्षेत्र में प्रोफेसर भरत गुप्त और बेगम बतूल को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया। प्रोफेसर गुप्त और बेगम बतूल ने आईएएनएस से कहा, “मैं राष्ट्र का धन्यवाद करता हूं। मुझे आशा है कि सरकार और समाज कला के संरक्षण में और निवेश करेगा।”
--आईएएनएस

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