नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने पहले भाषण में राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू ने बुधवार को कहा कि सरकार के समय पर और सक्रिय हस्तक्षेप के कारण
भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
यह कहते हुए कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है,
राष्ट्रपति ने कहा, "यह आर्थिक अनिश्चितता की वैश्विक पृष्ठभूमि के खिलाफ
हासिल किया गया है। सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्ष की मदद से हम जल्द ही
मंदी से बाहर आ गए और हमारी विकास यात्रा फिर से शुरू हो गई।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुर्मू
ने कहा, "सरकार के समय पर और सक्रिय हस्तक्षेप के कारण भारत सबसे तेजी से
बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है। विशेष रूप से 'आत्मनिर्भर
भारत' पहल को बड़े पैमाने पर लोगों के बीच शानदार प्रतिक्रिया मिली है।"
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षो के दौरान सामना की गई चुनौतियों के बारे में भी बात की।
उन्होंने
कहा, "स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षो में हमने अनगिनत चुनौतियों और
प्रतिकूलताओं का सामना किया। अत्यधिक उच्च स्तर की गरीबी और निरक्षरता लंबे
विदेशी शासन के कई बुरे प्रभावों में से सिर्फ दो थे। फिर भी, भारत की
भावना अडिग थी। आशा और विश्वास के साथ हमने मानव जाति के इतिहास में एक
अनूठा प्रयोग शुरू किया।"
मुर्मू ने कहा कि आधुनिक भारतीय दिमाग को
आकार देने वालों ने भी वैदिक सलाह 'आनो भद्रा कृतवो यंतु विश्वत:' का पालन
करते हुए विदेशों से प्रगतिशील विचारों का स्वागत किया।
राष्ट्रपति
ने कहा, "जब से संविधान लागू हुआ है, तब से आज तक, यह एक अद्भुत यात्रा रही
है, जिसने कई अन्य देशों को प्रेरित किया है। प्रत्येक नागरिक के पास भारत
की कहानी पर गर्व करने का कारण है।"
उन चुनौतियों के बारे में बात
करते हुए जिन्हें तत्काल संबोधित करने की जरूरत है, राष्ट्रपति ने कहा,
"मेरे विचार में ग्लोबल वार्मिग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं,
जिनसे तत्काल निपटने की जरूरत है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और जलवायु
परिवर्तन के चरम रूप दिखाई दे रहे हैं।"
राष्ट्रपति ने किसानों,
मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिका की भी प्रशंसा करते हुए कहा,
"मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना
करती हूं, जिनकी सामूहिक शक्ति हमारे देश को 'जय जवान, जय किसान, जय
विज्ञान, जय अनुसंधान' की भावना से आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है।"
राष्ट्रपति
ने कहा, "हम सभी एक हैं, और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी
सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है, बल्कि हमें एकजुट किया है। यही
कारण है कि हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यह भारत का
सार है।"
--आईएएनएस
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