नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने गुरुवार को कहा कि कोरोनावायरस वैक्सीन कोवीशील्ड ने तीसरे फेज के ट्रायल के लिए इनरॉलमेंट का काम पूरा कर लिया है। दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन का उत्पादन करने वाला सीरम इंस्टीट्यूट और आईसीएमआर ने वैक्सीन के विकास के लिए अमेरिका के नोवावैक्स के साथ सहयोग बढ़ाने का भी फैसला किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ट्रायल में भाग लेने वाले सभी 1,600 प्रतिभागियों का नामांकन 31 अक्टूबर, 2020 को पूरा हो गया।
आईसीएमआर ने क्लिनिकल ट्रायल साइट के लिए फीस दी है, जबकि सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड पर आने वाले अन्य खर्च का वहन किया है। फिलहाल, सीरम और आईसीएमआर देश में 15 विभिन्न केंद्रों पर कोवीशिल्ड के दूसरे और तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं।
यूनाइटेड किंगडम में बना टीका फिलाहल यूके, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका में परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षणों के परिणाम अब तक उत्साहवर्धक हैं और विश्वास दिलाते हैं कि कोविशील्ड इस महामारी का एक समाधान हो सकता है।
आईसीएमआर और सीरम इंस्टीट्यूट ने दावा किया कि कोवीशील्ड भारत में मानव परीक्षण में अब तक का सबसे बेहतर टीका साबित हुआ है। दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षणों के परिणामों के आधार पर, आईसीएमआर की मदद से सीरम इंस्टीट्यूट भारत में जल्द से जल्द लांच करने की कोशिश में लगा है।
सीरम ने भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल से उत्पादन और भंडारण के लिए लाइसेंस के तहत वैक्सीन की 4 करोड़ खुराक का निर्माण कर लिया है।
--आईएएनएस
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