नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को साकेत कोर्ट के 4 फरवरी के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें जेएनयू के पूर्व छात्र और कार्यकर्ता शारजील इमाम, सह-आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा और नौ अन्य को दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा की घटनाओं से संबंधित एक मामले में आरोपमुक्त किया गया था। आरोपमुक्त करते हुए साकेत कोर्ट परिसर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने कहा था कि वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ पुलिस उपरोक्त आरोपियों को 'बलि का बकरा' बनाने में कामयाब रही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क गई थी।
न्यायाधीश वर्मा ने कहा था कि प्रदर्शनकारी निश्चित रूप से बड़ी संख्या में थे और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भीड़ के भीतर कुछ असामाजिक तत्वों ने व्यवधान का माहौल बनाया।
कोर्ट ने शारजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम, चंदा यादव और सफूरा जरगर को मामले में बरी कर दिया था।
हालांकि, इमाम, जो 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित साजिश मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत भी आरोपी है, हिरासत में रहेगा।(आईएएनएस)
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