मेडिकल
सुधारों को लेकर चौतरफा चर्चा हो रही है। क्या आप समझते हैं कि आप जो बदलाव
ला रहे हैं, उस पर अच्छी तरह से सोच-विचार किया गया है?
पीएम
मोदी--जब हमने 2014 में सरकार बनाई थी, तो मेडिकल शिक्षा की वर्तमान
प्रणाली के बारे में कई चिंताएं थीं। इससे पहले अदालतें भारत में मेडिकल
शिक्षा को देख रहीं संस्थानों पर कड़ी टिप्पणियां कर रही थीं और उसे
भ्रष्टाचारियों की मांद करार दिया था। एक संसदीय समिति ने भी व्यापक अध्ययन
किया और कहा कि मेडिकल शिक्षा की हालत खस्ताहाल है और इसमें कुप्रबंधन,
पारदर्शिता की कमी और मनमानी की ओर इशारा किया गया था।
पहले की
सरकारों ने भी इस सेक्टर में सुधार का विचार किया था, लेकिन वे इसे कर नहीं
पाए। हमने फैसला किया कि इसे करेंगे, क्योंकि यह ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसे
हल्के में लिया जाए, क्योंकि यह हमारे लोगों के स्वास्थ्य से और हमारे
युवाओं के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। इसलिए इसमें क्या सुधार किया जाए,
इसके लिए हमने एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया। विशेषज्ञ समूह ने सिस्टम का
सावधानीपूर्वक अध्ययन किया और समस्याओं और सुधार के क्षेत्रों के बारे में
सलाह दिया। हम विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर ही वर्तमान विधेयक को लेकर
आए हैं।
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