नई दिल्ली। पीएम मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर का पूरा प्लान बताया है। अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे। गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके बताया कि 15 में से एक सदस्य दलित समुदाय से भी होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रस्ट में शामिल किए जाने वाले लोगों में ऐडवोकेट के पराशरण, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास और अयोध्या राज परिवार से जुड़े विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा जैसे नाम प्रमुख हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के तहत ट्रस्ट का गठन करते हुए केंद्र सरकार ने इसका नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट रखा।
ट्रस्ट के सदस्यों का नाम
बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (ट्रस्टी), के. पराशरण, डॉ अनिल कुमार मिश्र, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, जगद्गुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज, परमानंद जी महाराज, स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज।
राम मंदिर ट्रस्ट घोषणा की टाइमिंग पर उठे सवाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार थमने से ठीक एक दिन पहले बुधवार को मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान कर दिया। विपक्ष ने ट्रस्ट की घोषणा की टाइमिंग पर सवाल उठाया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा ने दिल्ली चुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट के गठन की घोषणा की, तो कांग्रेस सहित एआईएमआईएम पार्टी के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठा दिया। ओवैसी ने कहा, "राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा के जरिए भाजपा मतदाताओं को प्रभावित करना चाहती है। इसके साथ ही इससे भाजपा की कमजोरी भी साबित हो रही है।"
लेकिन भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सरकार के बंधे होने की बात कहकर अपना बचाव किया है। नौ नवंबर, 2019 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के भीतर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित करने का आदेश दिया था।
भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय का मानना है कि राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा कर सरकार किसी तरह का राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश में नहीं है। अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, सुप्रीम कोर्ट ने 90 दिनों में ट्रस्ट गठन के लिए कहा था। इस प्रकार आठ फरवरी तक ट्रस्ट की घोषणा होनी थी। ऐसे में सरकार ने आवश्यक प्रक्रिया का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाई है। अगर ट्रस्ट से किसी तरह का लाभ लेने की मंशा होती तो केंद्र सरकार छह, सात या चुनाव के दिन आठ फरवरी को भी इसका ऐलान कर सकती थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के कारण चुनाव आयोग भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर ट्रस्ट गठन का प्रस्ताव पास होने की जैसे ही जानकारी दी, भाजपा नेताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। दिल्ली में पंत मार्ग स्थित प्रदेश कार्यालय से लेकर दीन दयाल उपाध्याय मार्ग वाले राष्ट्रीय मुख्यालय पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को बधाई देनी शुरू कर दी। वहीं दिल्ली में भाजपा की बाइक टोली जयश्री राम के नारे लगाते हुए सड़कों पर भी निकल पड़ी।
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