नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की राजधानी टोक्यो में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, स्वामी विवेकानंद जब अपने ऐतिहासिक संबोधन के लिए शिकागो जा रहे थे, तो उससे पहले वो जापान भी आए थे। जापान ने उनके मन-मस्तिष्क पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा था।
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जापान के लोगों की देशभक्ति, जापान के लोगों का आत्मविश्वास, यहां का अनुशासन, स्वच्छता के लिए जापान के लोगों की जागरूकता, स्वामी विवेकानंद ने इसकी खुलकर प्रशंसा की थी। जापान से हमारा रिश्ता सामर्थ्य का है, सम्मान का है, विश्व के लिए साझे संकल्प का है। जापान से हमारा रिश्ता बुद्ध का है, बौद्ध का है, ज्ञान का है, ध्यान का है।
आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के विचारों पर, उनके बताए रास्ते पर चलने की बहुत ज़रूरत है। यही रास्ता है जो आज दुनिया की हर चुनौती, चाहे वो हिंसा हो, अराजकता हो, आतंकवाद हो, जलवायु परिवर्तन हो, इन सबसे मानवता को बचाने का यही मार्ग है।
भारत ने कोविड के दौरान अनिश्चितता का माहौल था। उस समय भी भारत ने दुनिया के देशों को दवाएं भेजीं। जब वैक्सीन उपलब्ध हुईं तब भारत ने 'मेड इन इंडिया' वैक्सीन अपने करोड़ों नागरिकों को भी लगाईं और दुनिया के 100 से अधिक देशों को भी भेजीं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की आशा बहनों को डायरेक्टर जनरल्स- ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया है। भारत की लाखों आशा बहनें, मैटेरनल केयर से लेकर वैक्सीनेशन तक, पोषण से लेकर स्वच्छता तक, देश के स्वास्थ्य अभियान को गति दे रही हैं।
जलवायु परिवर्तन आज विश्व के सामने एक महत्वपूर्ण संकट बन गया है। हमने भारत में इसके स्थाई समाधान के लिए आगे बढ़कर काम किया है। भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो के लिए प्रतिबद्धता जताई है। हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसे वैश्विक पहल का भी नेतृत्व किया। भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन का हाइड्रोकार्बन का विकल्प बनाने के लिए विशेष मिशन शुरू किया गया है।
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