नई दिल्ली। हाल ही में पारित हुए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण)अधिनियम, 2019 के कुछ अनुच्छेदों को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक जनहित याचिका दायर ( Plea) की गई है। यह याचिका अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद अली ने दायर की है। इस जनहित याचिका में इस अधिनियम की धारा 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई। इन धाराओं के तहत मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को तीन तलाक कहना अपराध है, जिसके लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को पहले ही 'असंवैधानिक' घोषित किया था। हालांकि, बाद में केंद्र ने न केवल तीन तलाक को 'निरस्त और अवैध' घोषित किया, बल्कि इसे दंडनीय अपराध के अंतर्गत भी रखा है। लेकिन इस अधिनियम में पति और पत्नी के बीच सुलह कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
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