नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में निरंतर वृद्धि पर सवाल उठाया और मांग की कि इसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। पार्टी ने केंद्र सरकार से पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क को तुरंत कम करने के लिए कहा और मांग की कि भाजपा शासित राज्य सरकारों को आम जनता को राहत प्रदान करने के लिए मूल्यवर्धित कर (वैट) और अन्य करों में कमी करनी चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि 2014 के मई में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 432 फीसदी और डीजल पर 433 फीसदी की वृद्धि की गई है, जबकि केंद्रीय उत्पाद शुल्क में 12 गुना बढ़ोतरी कर दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘26 मई, 2014 को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसदी से अधिक की कमी हुई है। (नरेंद्र) मोदी सरकार ने 2017 के दिसंबर तक पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय कर लगाकर 9.95 लाख करोड़ रुपये कमाए। यह अब 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। सारा पैसा कहां चला गया?’’
उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही कर्नाटक चुनाव खत्म हुए, सरकार ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया और रोज दाम बढ़ाने लगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सबसे बड़ी मांग ईंधन की कीमतों को जीएसटी के तहत लाने की है, जो समान कराधान और सरल प्रक्रियात्मक अनुपालन का संकेत देगी।’’
खेड़ा ने सवाल उठाया कि क्यों पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में ईंधन की कीमतें इतनी ऊंची रखी गई हैं।
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