नई दिल्ली । हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस
ने अपने अध्यक्ष और अन्य के माध्यम से हरिद्वार में हाल ही में धर्म संसद
से संबंधित अभद्र भाषा मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हस्तक्षेप याचिका
दायर की है।
याचिका में दावा किया गया है कि चूंकि शीर्ष अदालत मुसलमानों के खिलाफ नफरत
भरे भाषणों की जांच करने के लिए सहमत हो गई है, इसलिए उसे अकबरुद्दीन
ओवैसी और दिल्ली के आप नेता अमानतुल्ला खान जैसे राजनीतिक नेताओं से जुड़े
दो दर्जन से अधिक कथित उदाहरणों का हवाला देते हुए हिंदुओं के खिलाफ नफरत
भरे भाषणों की भी जांच करनी चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
याचिका में कहा गया है, "आवेदक
वर्तमान आवेदन के माध्यम से इस अदालत से प्रार्थना कर रहे हैं कि हिंदू
समुदाय के सदस्यों, उनके देवी-देवताओं के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों की
जांच के लिए एक एसआईटी को निर्देश दिया जाए।"
इसने अदालत से
संवैधानिक भावना के साथ-साथ भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ दिए गए अभद्र
भाषा की घटना की जांच का निर्देश देने का आग्रह किया।
याचिका में
कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ नेता और उपदेशक हिंदू धर्म के खिलाफ
और भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।
अधिवक्ता
विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, "मुस्लिम
नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों ने हिंदू समुदाय में भय और अशांति का
माहौल पैदा कर दिया है। इस तरह के बयान हमें मुस्लिम लीग के कामकाज की याद
दिलाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश का विभाजन हुआ।
जनहित याचिका का
विरोध करने के लिए हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा एक और
हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है, जिसमें हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद
सम्मेलन और दिल्ली में एक अन्य कार्यक्रम में वक्ताओं के खिलाफ आपराधिक
कार्रवाई की मांग की गई है।
--आईएएनएस
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