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पेरू का जेन जी भी सड़क पर, नेपाल की तरह ही हुक्मरानों से नाराज

Perus Gen Zhi is also on the streets, angry with the rulers, just like in Nepal. - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। नेपाल की ही तरह पेरू का युवा सड़क पर उतर आया है। सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। दोनों ही विरोध प्रदर्शनों में कई समानताएं हैं। जेन जी का बैनर, सोशल मीडिया पोस्ट्स, मीम्स और एक साथ जुट कर विरोध का तरीका बहुत कुछ एक जैसा! नेपाल में सोशल मीडिया पर पाबंदी ने चिंगारी भड़का दी थी, तो पेरू पिछले कुछ दिनों से सरकारी फरमान के कारण भीतर ही भीतर सुलग रहा था। राष्ट्रपति डिना बोलुआर्टे के खिलाफ माहौल बन गया था, ठीक वैसा ही जैसा नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ था। पेरू की राजधानी लीमा में सैकड़ों युवा 20 सितंबर 2025 को सड़कों पर उतरे। यह प्रदर्शन मुख्य रूप से जेन जी, यानी नई पीढ़ी के युवाओं ने आयोजित किया। युवाओं का मुख्य उद्देश्य था 'भ्रष्टाचार, आर्थिक असुरक्षा और पेंशन सुधार कानून' के खिलाफ अपनी आवाज उठाना। 'जेनरेशन जी' नामक एक युवा समूह की ओर से आयोजित यह विरोध-प्रदर्शन, संगठित अपराध, सरकारी पदों पर भ्रष्टाचार और हाल ही में हुए पेंशन सुधार के खिलाफ पेरू में बढ़ते सामाजिक असंतोष का हिस्सा है। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में लगभग 500 लोग शहर के सेंटर में एकत्र हुए थे। इस विरोध का कारण आखिर है क्या?
दरअसल, हाल ही में पेरू की कांग्रेस ने निजी पेंशन फंड में बदलाव किया, जिससे युवाओं को डर है कि उनकी भविष्य की बचत असुरक्षित हो जाएगी। साथ ही, बढ़ती अपराध दर और सरकारी भ्रष्टाचार ने युवा वर्ग की बेचैनी बढ़ा दी है।
प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सहारे अपना दर्द और गुस्सा जाहिर किया और एक जगह इकट्ठे हो गए। असंतोष बढ़ता देख पुलिस ने मोर्चा संभाला। भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया और इस हिंसक झड़प में करीब तीन पुलिसकर्मी घायल हुए। रेडियो स्टेशन एक्सिटोसा के अनुसार, उसके रिपोर्टर और एक कैमरामैन कथित तौर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से दागे गए छर्रों से घायल हो गए।
नेपाल में भी इस महीने जेन जी के युवा कुछ ऐसे ही सक्रिय हुए, सरकार और संसद के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। नेपाल में युवा नेतृत्व वाले इन प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे और अंतरिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति तक को प्रभावित किया।
दोनों देशों में युवा प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया, मीम्स और पॉप कल्चर प्रतीकों का इस्तेमाल किया। जैसे पेरू में कुछ प्रदर्शनकारी 'वन पीस' एनीमे के प्रतीक को झंडे के रूप में ले गए। नेपाल में भी युवा डिजिटल सक्रियता के माध्यम से सरकार विरोधी नारे फैलाते रहे। जताया कि जेन जी 'राजनीति में सिर्फ वोटर नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदार' बनना चाहता है।
वैश्विक स्तर पर भी यह प्रवृत्ति देखी जा रही है। बांग्लादेश में ऐसा ही दिखा, तो इंडोनेशिया और केन्या में युवा इसी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर विरोध कर रहे हैं। पेरू में राष्ट्रपति डिना बोलुआर्टे की लोकप्रियता पिछले कुछ महीनों में काफी कम हुई है। बोलुआर्टे का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है, लेकिन उनकी लोकप्रियता का ग्राफ काफी गिरा है। इसकी वजह आपराधिक गतिविधियों में बढ़ोतरी और भ्रष्ट्राचारियों पर नकेल कसने में नाकामी बताया जा रहा है। सरकार ने कई जनमत सर्वे कराए, जिसमें निष्कर्ष निकला कि पेरू की सरकार और रूढ़िवादी बहुमत वाली कांग्रेस को कई लोग भ्रष्ट मानते हैं। हाल ही में उन्होंने अपना वेतन भी दोगुना करा लिया था और इसकी भी चौतरफा आलोचना हुई थी।
--आईएएनएस

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Web Title-Perus Gen Zhi is also on the streets, angry with the rulers, just like in Nepal.
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