दरअसल इस बेहद सतर्क और खुफिया सुरक्षा कवायद की शुरुआत के पीछे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दूर-²ष्टि
मानी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की सलाह थी कि भले ही चीन सीमा पर
हिंदुस्तानी हिस्से की रखवाली भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)-सेना करती
हों, इसके बाद भी चीन सीमा पर स्थित हिंदुस्तानी राज्यों की पुलिस को भी
इसमें भागीदारी निभानी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री
शाह ने यह मंशा बीते साल दिसंबर माह की शुरुआत में पुणे में आयोजित पुलिस
कॉन्फ्रेंस में जाहिर की थी। तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में हिमाचल प्रदेश के
पुलिस महानिदेशक समेत तमाम राज्य के पुलिस मुखिया उपस्थित थे। कॉन्फ्रेंस
में मौजूद पुलिस महानिदेशक स्तर के एक अधिकारी के मुताबिक कि प्रधानमंत्री
का आइडिया अच्छा है।
इससे पुलिस का भी मनोबल बढ़ेगा कि चलो देश या राज्य
में किसी ने तो उनके काम को इस लायक समझा कि राज्य पुलिस भी देश के सीमांत
इलाकों अपना खुफिया नेटवर्क बना पाने और सुरक्षा मुहैया कर पाने में सक्षम
है। एक पूर्व पुलिस महानिदेशक के मुताबिक, इस पूरी कवायद से प्रधानमंत्री
और गृह मंत्री ने एक तीर से कई निशाने देशहित में साध लिए। पुलिस अफसरों
द्वारा इन क्षेत्रों में महीने में एक रात बिताने के फायदे कई हैं।
ग्रामीण
स्तर पर पुलिस का खुफिया नेटवर्क बढ़ेगा। चीन सीमा पर मौजूद भारतीय गांवों
में रहने वाले लोगों को लगेगा कि वे हिंदुस्तान की मुख्य धारा से अलग-थलग
नहीं हैं। जन-मानस के बीच पुलिस की सकारात्मक छवि बनेगी। पुलिस, जनता का
विश्वास आसानी से हासिल कर लेगी जो कि समाज, पुलिसिंग और सुरक्षा व खुफिया
तंत्र तैयार करने के नजरिए से बेहद जरुरी है।
(IANS)
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