नई दिल्ली। पूरे भारत में प्रदूषित नदियों की संख्या 2015 से 2018 तक 302 से बढ़कर 351 हो गई है। लोकसभा को पूरे भारत में नदियों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सरकार ने सूचित किया गया है। जैविक प्रदूषण के एक संकेतक जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के संदर्भ में निगरानी परिणामों के आधार पर, सीपीसीबी द्वारा समय-समय पर प्रदूषित नदी के हिस्सों की पहचान की जाती है।
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राज्य मंत्री जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए, प्रह्लाद सिंह पटेल ने एक लिखित उत्तर में कहा, साल 2009 से 2012 के बीच इस डेटा को ध्यान में रखते हुए, 2015 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत भर में 302 प्रदूषित नदी हैं, जबकि 2018 के बीच निगरानी डेटा के अनुसार इसकी संख्या बढ़कर 351 हो गई थी।
मंत्री ने कहा, तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगीकरण ने समस्या को और बढ़ा दिया है। देश में नदियाँ शहरो और कस्बों से अनुपचारित और आंशिक रूप से उपचारित सीवेज और उनके संबंधित जलग्रहण क्षेत्रों में औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन, सीवेज और अपशिष्ट उपचार संयंत्रों के संचालन और रखरखाव में समस्याओं, प्रदूषण के अन्य गैर-बिंदु स्रोतों की कमी के कारण प्रदूषित हुआ हैं।
मंत्री ने यह भी कहा, जबकि कुछ विशेषज्ञों की रिपोटरें के मुताबिक नदियों में जल प्रवाह में कमी के बारे में चिंता व्यक्त की है, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा देश में प्रमुख और महत्वपूर्ण नदियों के लिए पिछले 20 वर्षों से बनाए गए वार्षिक औसत प्रवाह डेटा है। पानी की उपलब्धता में किसी महत्वपूर्ण गिरावट का संकेत नहीं है।
हालांकि, सीडब्ल्यूसी के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति वार्षिक जल उपलब्धता जनसंख्या में वृद्धि, शहरीकरण, लोगों की बेहतर जीवन शैली आदि के कारण उत्तरोत्तर कम हुई है।
राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) ने अब तक देश के 16 राज्यों में फैले 77 शहरों में 34 नदियों पर प्रदूषित हिस्सों को कवर किया है। जिसमें परियोजनाओं की स्वीकृत लागत 5,965.90 करोड़ रुपये है, और 2522.03 एमएलडी की सीवेज उपचार क्षमता बनाई गई है। सरकार ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 30,235 करोड़ रुपये की लागत से 4948 एमएलडी के सीवेज उपचार के लिए 158 परियोजनाओं और 5,213 किलोमीटर के सीवर नेटवर्क सहित कुल 346 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
--आईएएनएस
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