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अब सट्टा लगाने वाले ऐप पर लगेगी लगाम, यहां जानें कैसे विदेश से गिरफ्तार होते हैं भारतीय भगोड़े

Now betting apps will be curbed, know here how Indian fugitives are arrested from abroad - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। महादेव बेटिंग ऐप मामले में मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे जल्द ही भारत लाया जाएगा। आरोपी को कैसे गिरफ्तार किया गया? उसे गिरफ्तार करने के क्या नियम-कानून हैं? इस मामले पर प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व सहायक निदेशक अनिल रावल ने खुलकर बात की है। आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि भारत में अपराध करने वाले किसी भी भगोड़े को किस कानून के तहत विदेश से गिरफ्तार किया जाता है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति अपराध करके विदेश भाग जाता है तो उसे वापस लाने की व्यवस्था है जो इंटरपोल के माध्यम से होती है। इंटरपोल से, जो पुलिस संगठन की एक संस्था है, करीब 150 देश जुड़े हुए हैं। वे एक-दूसरे की मदद करने के लिए इसमें काम करते हैं। इसमें जब किसी व्यक्ति को विदेश से वापस लाना होता है तो उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करना होता है। रेड कॉर्नर नोटिस सभी देशों में जाता है। अगर वह व्यक्ति किसी देश में है तो उस देश की पुलिस उस व्यक्ति को हिरासत में ले लेती है।
अनिल रावल ने बताया कि इस मामले में जैसा सुनने में आ रहा है कि सौरभ चंद्राकर के खिलाफ ईडी ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था और वह दुबई के अंदर था। जानकारी मिली है कि वहां की पुलिस ने उसे वहीं रोक लिया है और हिरासत में ले लिया है। अब भारत सरकार को ईडी के माध्यम से सारे दस्तावेज भेजने होंगे कि उसे भारत में पेश करना या लाना क्यों जरूरी है। यहां से सारे दस्तावेज तैयार करके दुबई पुलिस को भेजे जाएंगे। इसमें यह भी लिखा जाएगा कि उसके खिलाफ कौन से आपराधिक मामले हैं, इसके हमारे पास क्या सबूत हैं। ये सारे दस्तावेज एक महीने के अंदर तैयार करके वहां भेज दिए जाएंगे। दुबई पुलिस उसे तब तक वहीं रखेगी और वह कहीं नहीं जा सकता। इन दस्तावेजों के आधार पर उसे वहां की अदालत में पेश किया जाएगा। वहां की अदालत इस पर विचार करेगी और तय करेगी कि उसे भारत भेजा जाए या नहीं। उसके बाद उसे भारत भेजा जाएगा।
भविष्य में इस तरह के सट्टेबाजी के मामलों को रोकने के लिए भारत में क्या कदम उठाए जा रहे हैं? इस पर अनिल रावल ने बताया कि इस समय सभी सट्टेबाज ऐप के जरिए काम कर रहे हैं। वे पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल कर रहे हैं। आरबीआई और भारत की अलग-अलग एजेंसियां इस मामले में बहुत सतर्क हो गई हैं और इस बात पर ध्यान दे रही हैं कि अगर उन्हें ऐसी कोई हरकत नजर आती है तो वे उसे तुरंत रोक दें और फिर वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को सूचित करें। यह एजेंसी सभी धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर भी शिकंजा कस रही है।
इस केस की जांच को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देशों या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ कैसे काम किया जाएगा और सहयोग लिया जाएगा, इस पर उन्होंने कहा कि बिना किसी देश के सहयोग के यह सफलता नहीं मिल सकती। इसमें दो देशों के बीच के रिश्ते बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए जब से यह (भाजपा) सरकार आई है, हमारी साख विदेशों में बढ़ी है। इसलिए हमें इन देशों से ज्यादा सहयोग मिल रहा है। दूसरा इस सहयोग के लिए आपस में द्विपक्षीय टीटीएस किया जाता है, जिसे हम एमएलटी कहते हैं। एक विक्टेबल लीगल असिस्टेंट ईटी टीटी होता है। इससे आपस में सहयोग करना आसान हो जाता है। इसके अलावा एफटीएफ ने भारत को काफी अच्छी रेटिंग दी है। एफटीएफ की भी गाइडलाइन है कि सभी देशों को आपराधिक मामलों में सहयोग करना चाहिए, जिसमें यह केस भी शामिल है।
पीएम मोदी ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तेज करने जा रहे हैं। वे कदम क्या हो सकते हैं, पीएम किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं, इस पर रावल ने कहा कि जब से पीएम मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उनका एक लक्ष्य देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना रहा है। इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिस तरह से कारोबारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। आयकर चोरी रोकने के लिए सरकारी अधिकारियों पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि वे भ्रष्टाचार में लिप्त न हों। अब कई प्रावधानों में बदलाव किया गया है, सीआरपीसी में बॉडी कैमरा लगाया जाएगा या फिर कैमरे की निगरानी में कार्यवाही की जाएगी, इससे भी भ्रष्टाचार पर लगाम लगने की उम्मीद है।
एक और मामला यह है कि मुंबई बम विस्फोट के आरोपी अबू सलेम को इंटरपोल की मदद से पुर्तगाल से गिरफ्तार किया गया था। लेकिन जब उसे भारत भेजा गया तो वहां की अदालत ने भारत में सजा देने पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं, तो क्या इस मामले में भी ऐसा हो सकता है। इस मामले को लेकर उन्होंने कहा कि जब अबू सलेम को पुर्तगाल से लाया गया था, तब पुर्तगाल के साथ हमारी कोई संधि नहीं थी, उस समय हमारी एजेंसियों ने उस मामले में बहुत अच्छा काम किया और अबू सलेम को भारत लाने में सफलता हासिल की। ​​पुर्तगाली अदालत के ऐसा कहने के बाद हमने तय किया था कि हम उसे मौत की सजा नहीं देंगे। और दूसरी बात, हर देश में जेल की स्थिति को लेकर कुछ नियम होते हैं, वे कहते हैं कि मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए, अब जैसे इंग्लैंड में मानवाधिकारों के हिसाब से जेल का नियम है कि हर कैदी को एक निश्चित जगह मिलनी चाहिए, जबकि हमारे देश में कई जिलों में स्थिति ऐसी नहीं है कि हम उन्हें निश्चित जगह दे सकें, यहां तक ​​कि जब विजय माल्या का मामला लाया गया था, तब भी इंग्लैंड की सरकार ने इस मुद्दे को उठाया था। तब हमारे देश ने कहा था कि मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए वहां जो भी जरूरत होगी, हम उसे पूरा करेंगे। दूसरी बात यह है कि कई देशों में मृत्युदंड पर प्रतिबंध है। इसलिए वे कहते हैं कि अगर आप मृत्युदंड देंगे तो हम उसे आपको नहीं सौंपेंगे। इसलिए कई देश किसी भी व्यक्ति को सौंपने से पहले इस बात का ध्यान रखते हैं।
--आईएएनएस

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