नई दिल्ली। दिल्ली निर्भया गैंगरेप मर्डर केस में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को टालने से इनकार कर दिया जिसमें डेथ वारंट जारी किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत जाने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि मामले को लटकाने के मकसद से देरी की गई। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिका का मकसद केस को लंबा खींचना है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस दौरान अदालत ने मुकेश के वकील को पटियाला हाउस कोर्ट जाने को कहा है यानी हाई कोर्ट में मुकेश की याचिका पर सुनवाई नहीं होगी। इस याचिका में मुकेश की तरफ से ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी डेथ वारंट के खिलाफ अपील की थी। बुधवार को सुनवाई के दौरान वकील की ओर से कहा गया कि 7 जनवरी को जब ट्रायल कोर्ट ने फांसी का आदेश जारी किया तो उन्हें क्यूरेटिव पेटिशन के बारे में जानकारी नहीं थी, इसी वजह से अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं।
इस पर हाई कोर्ट ने वकील से कहा कि अगर ये मामला है तो आपको हाई कोर्ट में याचिका नहीं डालनी चाहिए, बल्कि ट्रायल कोर्ट के पास ही जाना चाहिए। ट्रायल कोर्ट के बाद आप यहां नहीं सीधे सुप्रीम कोर्ट ही जाएं।
आपको बताते जाए कि इससे पहले निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी कि उनके डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए। अर्जी में मुकेश ने बताया कि उसकी दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है, इसलिए डेथ वारंट को रद्द कर दिया जाए।सुनवाई के दौरान दिल्ली एएसजी और दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती है। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला देने के बाद दोषियों को 14 दिन का वक्त देना होगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। 18 दिसंबर को तिहाड़ जेल अथॉरिटी ने सभी दोषियों को नोटिस जारी कर दिया है।
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