नई दिल्ली। निर्भया केस में दोषी पवन की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। जस्टिस भानुमति की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने पवन की याचिका पर यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पवन की याचिका में कोई नया आधार नहीं पाया। पवन ने याचिका में दावा किया था कि वह अपराध के समय नाबालिग था, और दिल्ली हाई कोर्ट ने इस तथ्य की अनदेखी की थी। इस फैसले के बाद निर्भया की मां ने कहा कि जब तक दोषियों को फांसी नहीं मिलेगी तब तक न्याय नहीं मिलेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पवन ने स्पेशल लीव पिटिशन दायर कर दावा किया है कि 2012 में हुए अपराध के वक्त वह 16 वर्ष का ही था। आपको बताते जाए कि पवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका में कहा था कि वह
दिल्ली हाई कोर्ट को भी यह कह चुका है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तथ्य को
नजरअंदाज कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर, 2019 की सुनवाई में इस
दलील को खारिज करते हुए पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था।आपको बताते जाए कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि वह एक ही मुद्दे को कितनी बार उठाएगा? पवन के वकील एपी सिंह ने शीर्ष अदालत में दलील देते हुए दोषी पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर, 1996 है। उन्होंने बताया कि हमारे पास दस्तावेज हैं। पवन अपराध के समय नाबालिग था। वकील ने गायत्री बाल स्कूल के सर्टिफिकेट को जिक्र करते हुए कहा कि यह नया दस्तावेज है।
इस पर जस्टिस भानुमति ने पूछा कि आप जो दस्तावेज दे रहे हैं वो 2017 का है, जब कोर्ट ने आपको सजा सुना चुकी थी। इसपर एपी सिंह ने बताया कि इस मामले में एक बड़ी साजिश हुई है। दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाए रखी है। बेंच ने फिर पूछा कि पुनर्विचार याचिका में भी आपने इस मुद्दे को उठाया था, फिर आप इस मुद्दे को अब क्यों उठा रहे हैं? कोर्ट ने कहा कि आप ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को उठा चुके हैं, कितनी बार आप यही मुद्दा उठाएंगे?
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