जयपुर/नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के दोषी 20 मार्च को होने वाली फांसी को टालने के लिए रोजाना नए-नए हथकंडे अपनाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इसी बीच निर्भया गैंगरेप का आरोपी मुकेश सिंह को सात साल बाद राजस्थान की बात याद आ गई है। मुकेश ने अपनी फांसी को टालने के लिए हाईकोर्ट में नई याचिका डाल दी है। दिल्ली कोर्ट ने इस याचिका पर अपना
निर्णय सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले मुकेश ने याचिका दाखिल करके मौत की सजा को रद्द करने
की मांग की थी, साथ ही दावा किया है कि जिस वक्त गैंगरेप की यह घटना हुई वह
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सरकारी वकील (पब्लिक प्रोसिक्यूटर) इरफान अहमद ने अदालत को बताया कि दोषी की ओर से किया गया आवेदन फांसी की सजा को टालने की तुच्छ रणनीति है।
निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश ने अपने वकील एमएल शर्मा के माध्यम
से डाली याचिका में दावा किया है कि वह 17 दिसंबर 2012 को राजस्थान से
गिरफ्तार हुआ था। वह तो वारदात वाले स्थल पर घटना के वक्त था भी नहीं। ऐसे
में वह इस केस में दोषी नहीं है। इसके साथ ही मुकेश ने अपनी याचिका में
दावा जताया कि तिहाड़ जेल में उसका शोषण किया गया है। उसके साथ जेल में
मारपीट की गई।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
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