हालांकि, भारत में यह पहली बार नहीं है, जब चार दोषियों को एक साथ
फांसी की सजा दी गई हो। इससे पहले भी देश में चार लोगों को पुणे की यरवदा
जेल में एक साथ फांसी दी जा चुकी है। 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर मामले
में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी।
गौरतलब
है कि जनवरी 1976 और मार्च 1977 के बीच पुणे में राजेंद्र जक्कल, दिलीप
सुतार, शांताराम कान्होजी जगताप और मुनव्वर हारुन शाह ने जोशी-अभयंकर केस
में दस लोगों की हत्याएं की थीं। ये सभी हत्यारे अभिनव कला महाविद्यालय,
तिलक रोड में व्यावसायिक कला के छात्र थे, और सभी को 27 नवंबर 1983 को उनके
आपराधिक कृत्य के लिए एक साथ यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
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