क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) पुनर्विचार याचिका से थोड़ी
अलग होती है। इसमें फैसले की जगह पूरे केस में उन मुद्दों या विषयों को
चिन्हित किया जाता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान देने की
आवश्यकता है।
क्यूरेटिव पिटीशन के अलावा राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद के पास भी इन दोषियों की दया याचिका लंबित है। अगर
राष्ट्रपति इन दोषियों की दया याचिका पर 14 दिनों में फैसला नहीं लेते तो
भी फांसी की तारीख आगे खिसक सकती है। मर्सी पिटीशन यानी दया याचिका का
इस्तेमाल तो इनमें से एक को छोड़कर बाकी तीन ने अभी तक किया ही नहीं है।
पटियाला
हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों के लिए फांसी की तारीख 22 जनवरी
की सुबह 7 बजे तय करने के बाद डेथ वॉरंट जारी कर दिया था। हालांकि कोर्ट के
फैसले के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने बताया था कि वह सुप्रीम कोर्ट
में इसके खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे। डेथ वॉरेंट जारी करते हुए
पटियाला हाउस कोर्ट इस फैसले को चुनौती देने के लिए चारों को 7 दिन का वक्त
दिया था।
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