नई दिल्ली| मानव संसाधन
विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने यहां बुधवार को कहा कि हमारे जीवन के
पूर्ण मूल्यांकन के लिए हमें बुद्धि और मन के साथ अध्यात्मिकता का विज्ञान
अवश्य सीखना चाहिए।
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भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी (आईएनएसए) में राष्ट्रीय विज्ञान
दिवस के अवसर पर उन्होंने देश के वैज्ञानिकों के प्रति आभार जताया और
छात्रों के बीच वैज्ञानिक मनोभाव के विकास करने की जरूरत के बारे में
बताया।
मंत्री ने कहा, "इससे पहले भी मैंने कहा था..कि दिल्ली,
मुंबई में आत्महत्या करने वालों की संख्या यहां होने वाली हत्याओं से
ज्यादा है। यह विज्ञान है जो हमें मानव जीवन के मूल्य के बारे में बताता
है। क्या विज्ञान हमें जीवन के इस तरह के मूल्यों के बारे में सिखाता है?
यह तबतक होगा जबतक कि हम अध्यात्मिक विज्ञान के बारे में बात नहीं करेंगे।
बुद्धि के विज्ञान को पढ़ाए जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "विज्ञान ने
विश्व को वैश्विक गांव में तब्दील कर दिया। हम दुनिया से जुड़ गए लेकिन
खुद से कट गए। हमें निश्चय ही जीवन के विज्ञान के बारे में चर्चा करना
चाहिए। चिकित्सा विज्ञान भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। क्या हम चिकित्सा के
साथ ज्ञान और दिमाग के विज्ञान पर चर्चा करेंगे?"
मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक मनोदशा का पहला शर्त 'खुद से प्रश्न करना' और 'दूसरे को आपके विश्वास पर प्रश्न करने देना' है।
राज्यमंत्री
ने इससे पहले पिछले महीने चार्ल्स डार्विन के क्रमागत विकासवाद के
सिद्धांत को 'वैज्ञानिक तरीके से गलत' बताया था और दावा करते हुए कहा था कि
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि हमारी उत्पत्ति बंदरों से हुई है।
भारतीय
वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन द्वारा 'रमन प्रभाव' की
खोज के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया
जाता है।
आईएएनएस
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