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राष्ट्रीय एकता दिवस: एक विचार से लेकर विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' बनने तक की पूरी कहानी

National Unity Day: The Complete Story of the Statue of Unity, From an Idea to the Creation of the World Tallest Statue - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। पूरा देश शुक्रवार को 'राष्ट्रीय एकता दिवस' मना रहा है। यह दिवस भारत के 'लौह पुरुष' कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। सरदार पटेल के सम्मान के रूप में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 2014 में इसकी शुरुआत की थी। सरदार पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर 'मोदी आर्काइव' के 'एक्स' हैंडल पर कई पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी के सरदार पटेल के प्रति सम्मान और 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के विजन की पूरी कहानी को बताया गया है। मोदी आर्काइव के 'एक्स' हैंडल पर किए गए पोस्ट में लिखा है, "अक्टूबर 2010 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को एकजुट करने का एक विचार शेयर किया। वह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाकर भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का सम्मान करना चाहते थे। नरेंद्र मोदी का विचार सिर्फ प्रतिमा के आकार तक ही सीमित नहीं था। उनका उद्देश्य भारत की एकता, देशवासियों की शक्ति और एक ऐसे नेता की विरासत का जश्न मनाना था जिसने चुनौतीपूर्ण समय में देश को एकजुट रखने में मदद की।"
पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों का भी जिक्र है। मुख्यमंत्री के तौर पर एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा था, "सरदार पटेल की प्रतिमा उन लोगों को याद दिलाएगी जो भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं कि यह राष्ट्र शाश्वत था, है और रहेगा।"
पोस्ट में लिखा गया है, "उनके लिए 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' एक स्मारक से कहीं अधिक थी। यह भारत की एकता का जीवंत प्रतीक और एक ऐसे दृष्टिकोण के रूप में खड़ी थी जिसने एक राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित किया।"
इसके अलावा पोस्ट में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के निर्माण के बारे में जानकारी दी गई है। लिखा है, "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण एक बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धि थी। 182 मीटर ऊंची, यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इस प्रतिमा को बिना किसी सहारे के खड़े रहने के लिए डिजाइन किया गया था, जो दुनिया में पहली बार हुआ था। तीसरी श्रेणी के भूकंपीय क्षेत्र में निर्मित इस प्रतिमा को प्राकृतिक शक्तियों का सामना करना पड़ा। प्रतिमा की डिजाइन और इंजीनियरिंग टीम ने यह सुनिश्चित किया कि यह चुनौतियों का सामना करते हुए ऊंची खड़ी रहे। इस परियोजना में वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण लगा।"
नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए कहा था, "यह सबसे ऊंची प्रतिमा पूरी दुनिया और आने वाली पीढ़ियों को उस व्यक्ति के साहस, क्षमता और संकल्प की याद दिलाएगी जिसने भारत माता के टुकड़े-टुकड़े करने की साजिश को विफल करने का यह पवित्र कार्य किया।"
31 अक्टूबर, 2018 को जब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन हुआ, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए। देश के लोगों से जुटाए गए लोहे का एक टुकड़ा अपने हाथों में लिए हुए उन्होंने कहा था, "आप सभी से यह लोहा प्राप्त करके मैं अत्यंत अभिभूत हूं। यह सिर्फ धातु नहीं है। यह एकता की शक्ति में विश्वास रखने वाले प्रत्येक भारतीय की शक्ति है।"
'मोदी आर्काइव' के 'एक्स' हैंडल से किए गए एक अन्य पोस्ट में लिखा गया है, "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अब न सिर्फ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, बल्कि भारत की प्रगति और सरदार पटेल के सपनों के साकार होने का प्रतीक भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण इस प्रतिमा से कहीं आगे तक फैला हुआ है। इसने इसके आसपास के क्षेत्र को बदल दिया। केवड़िया पर्यटन सर्किट का विकास आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और स्थानीय आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए किया गया था।"
पोस्ट में यह भी लिखा है कि 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' आज इस बात की याद दिलाती है कि 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना से एकजुट होकर भारत क्या हासिल कर सकता है।
--आईएएनएस

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Web Title-National Unity Day: The Complete Story of the Statue of Unity, From an Idea to the Creation of the World Tallest Statue
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