नई दिल्ली। सात सितंबर को चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल का चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था। लैंडर का आखिरी क्षण में जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था। हालांकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में मौजूद है और 7.5 साल तक अपना काम करता रहेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आपको बता दें कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की समय सीमा जल्द ही पूरी होने वाली है। इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि नासा के मून ऑर्बिटर ने चांद के उस क्षेत्र की तस्वीरें ली हैं जहां पहुंच चंद्रयान-2 से भारत का संपर्क टूट गया था।
नासा के एक वैज्ञानिक ने बताया किनासा ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) की सहायता से 17 सितंबर को कई फोटो ली हैं। नासा फिलहाल इन फोटो का विश्लेषण कर रहा है। इसी क्षेत्र में मिशन विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन सिर्फ दो किलोमीटर पहले ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का संपर्क टूट गया था।
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