नई दिल्ली । टेक अरबपति एलोन मस्क
ने ट्विटर पर कब्जा कर लिया है, लेकिन इस साल की शुरुआत में हुई कैपिटोल
हिल हिंसा के मद्देनजर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बेटे हंटर के
लैपटॉप से संबंधित विशेष कहानियों को सेंसर करने को लेकर भारतीय मूल की
वकील विजया गड्डे के खाते को निलंबित कर दिया है।
2011 से ट्विटर पर काम कर रहीं विजया माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के
विश्वास और सुरक्षा, कानूनी और सार्वजनिक नीति सबंधी कार्यो की देखरेख करने
वाली प्रमुख कार्यकारी अधिकारी रही हैं। वह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप को हटाने और प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापन के प्रसारण पर
प्रतिबंध लगाने के फैसलों में भी शामिल थीं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मस्क ने ट्विटर पर
न्यूयॉर्क पोस्ट के अकाउंट को सस्पेंड करने के लिए वकील की खिंचाई की। 2020
के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान न्यूयॉर्क पोस्ट ने हंटर बाइडेन
के लैपटॉप के बारे में एक विशेष लेख लिखा था। लेख को तब से कई आउटलेट्स
द्वारा सत्यापित किया गया है। इन आउटलेट्स ने शुरुआत में रिपोर्ट को गलत
सूचना के रूप में खारिज कर दिया था।
मस्क ने एक ट्वीट में कहा, "एक
सच्ची कहानी प्रकाशित करने के लिए एक प्रमुख समाचार संगठन के ट्विटर अकाउंट
को निलंबित करना स्पष्ट रूप से अविश्वसनीय रूप से अनुचित था।"
मस्क
ने पॉडकास्ट होस्ट सागर एनजेटी द्वारा साझा की गई पोलिटिको रिपोर्ट के
जवाब में कहा गया था कि उन्होंने जब 44 अरब डॉलर के सौदे में ट्विटर पर
कब्जा किया, तब गड्डे ने कथित तौर पर अपनी टीमों के साथ बैठक कर प्लेटफॉर्म
के भविष्य पर चिंता जताई थी।
एनजेटी ने ट्वीट किया, "ट्विटर से
संबंधित शीर्ष सेंसरशिप अधिवक्ता विजया गड्डे, जिन्होंने जो रोगन के
पॉडकास्ट को दुनिया में प्रसिद्ध किया और हंटर बाइडेन लैपटॉप कहानी को
सेंसर किया, एलोन मस्क के अधिग्रहण को लेकर बहुत परेशान हैं।"
मस्क
लंबे समय से प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र अभिव्यक्ति की वकालत कर रहे थे, कई
लोगों के लिए आशंका पैदा कर रहे थे, क्योंकि उन्हें डर था कि नियमों के
बिना साइट को छोड़ दिया जाएगा।
मस्क ने ट्विटर पर लिखा, "स्वतंत्र अभिव्यक्ति से डरने वालों की अत्यधिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया यही सब कहती है।"
उन्होंने
कहा, "स्वतंत्र अभिव्यक्ति से मेरा सीधा मतलब है कि जो कानून से मेल खाता
है। मैं सेंसरशिप के खिलाफ हूं जो कानून से बहुत आगे जाता है। अगर लोग कम
स्वतंत्र अभिव्यक्ति चाहते हैं, तो वे सरकार से उस प्रभाव के लिए कानून
पारित करने के लिए कहें। इसलिए कि कानून से परे जाना लोगों की इच्छा के
विपरीत होगा।"
--आईएएनएस
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