नई दिल्ली। देश के करीब 300 आईएएस अफसरों ने केंद्र सरकार को अपनी संपत्तियों का हिसाब-किताब देने की जरूरत नहीं समझी है। यह हाल तब है, जब हाल में एक संसदीय समिति ने ऐसे अफसरों पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से जनवरी में कई रिमांइडर भेजने के बाद भी अफसरों ने संपत्ति का खुलासा नहीं किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के निर्देशों के मुताबिक हर साल 31 जनवरी तक पिछले वर्ष की अचल संपत्तियों की जानकारी एक निर्धारित प्रोफॉर्मा पर देनी पड़ती है, जिसे इमूवेबल प्रॉपर्टी रिटर्न (आईपीआर) कहते हैं। आईएएनएस ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट की पड़ताल की तो पता चला कि करीब 300 आईएएएस अफसरों ने अचल संपत्तियों की जानकारी नहीं दी है।
उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा 68 आईएएएस अफसरों ने संपत्तियों का अब तक खुलासा नहीं किया है। इसी तरह पश्चिम बंगाल के 14, उत्तराखंड के 10, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ के छह-छह, मध्य प्रदेश के 11, कर्नाटक के छह, बिहार के 25 और केंद्रशासित प्रदेश कैडर के 24 व आंध्र प्रदेश के 33 आईएएएस अफसरों ने अचल संपत्तियों की जानकारी नहीं दी है। खास बात है कि उत्तर प्रदेश कैडर के 72 आईएएस अफसरों ने वर्ष 2018 में अर्जित संपत्तियों की भी जानकारी नहीं दी।
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