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मोहम्मद अली जिन्ना ने रखी थी बंटवारे की नींव, पाकिस्तान बनने के एक साल बाद दुनिया को कहा अलविदा

Mohammad Ali Jinnah had laid the foundation of partition, said goodbye to the world a year after the formation of Pakistan - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । विभाजन की बात होती है तो उन लोगों का जिक्र आना लाजमी है, जिन्होंने देश के बंटवारे के दौरान अपन जानें गंवाई। यही नहीं, इसके कारण लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। हालात ऐसे हो गए थे कि दोनों और कत्लेआम मच गया था। जहां तक नजर जाती, वहां तक सिर्फ खून से लथपथ लाशें ही दिखाई देती। आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताएंगे, जिसके कारण देश में बंटवारे की नींव पड़ी। उन्हीं की वजह से एक नया मुल्क पाकिस्तान अस्तित्व में आया।
पाकिस्तान में उन्हें कायदे-आजम यानी महान नेता और बाबा-ए-कौम यानी राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित किया जाने लगा। हम बात कर रहे हैं मोहम्मद अली जिन्ना की। जो एक समय तक भारत की आजादी का सपना देख रहे थे, लेकिन जब हिंदुस्तान की आजादी का वक्त आया तो उनकी जिद ने देश का बंटवारा करा दिया।

मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 को एक गुजराती परिवार जेना भाई ठक्कर के यहां हुआ। बैरिस्टर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले जिन्ना ने अपना अधिकतर समय अपनी कानून की प्रैक्टिस को दिया, लेकिन वे राजनीति कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते रहे। 1896 में जिन्ना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। इसी के बाद से उन्होंने राजनीति की ओर रुचि दिखानी शुरू की। हालांकि, 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। शुरुआत में मोहम्मद अली जिन्ना अखिल भारतीय मुस्लिम लीग में शामिल होने से बचते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने अल्पसंख्यक मुसलमानों को नेतृत्व करने का फैसला कर लिया।

साल 1913 आते-आते वह मुस्लिम लीग में शामिल हो गए और 1916 के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता की। यह समझौता मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच हुआ था। महात्मा गांधी के उदय से जिन्ना के कांग्रेस से मतभेद हो गए। महात्मा गांधी का मत था कि सत्य, अहिंसा और सविनय अवज्ञा से स्वतंत्रता और स्वशासन को हासिल किया जा सकता है, लेकिन जिन्ना का मत उनसे अलग था। जिन्ना का मानना था कि सिर्फ संवैधानिक संघर्ष से ही आजादी पाई जा सकती है। 1920 में जिन्ना ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बनते ही जिन्ना ने कांग्रेस और ब्रिटिश समर्थकों के बीच विभाजन की रेखा खींच दी थी।

बताया जाता है कि पाकिस्तान बनाने में अगुवाई करने के संबंध में जिन्ना पर मोहम्मद इकबाल का काफी प्रभाव प्रभाव पड़ा। हालांकि, शुरुआत में इकबाल और जिन्ना विरोधी थे, क्योंकि इकबाल का मानना था कि जिन्ना को ब्रिटिश राज के दौरान मुस्लिम समुदाय के सामने आने वाले संकटों की परवाह नहीं थी। इकबाल की मौत के दो साल बाद 1940 में एक भाषण में जिन्ना ने इकबाल के इस्लामिक पाकिस्तान के सपने को लागू करने की इच्छा जाहिर की। साल 1940 के लाहौर अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित कर यह कहा गया कि मुस्लिम लीग का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान का निर्माण है। लेकिन, कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। मौलाना आजाद समेत कई नेताओं और जमाते-इस्लामी जैसे संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा की थी। हालांकि, 1947 आते-आते विभाजन की रूपरेखा तय हो गई थी।

हिंदुस्तान के बंटवारे ने लोगों को जख्म दिए। दोनों ही और लाखों लोग मारे गए और इतने ही लोगों ने पलायन किया। जिस समय जिन्ना ने एक नए देश बनाने का सपना देखा था, उस दौरान वह टीबी से ग्रस्त थे। जिन्ना की मौत कराची में उनके घर पर 11 सितंबर 1948 को हुई थी। उस दौरान उनकी उम्र 71 साल थी, पाकिस्तान के निर्माण के ठीक एक साल बाद ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

--आईएएनएस

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Web Title-Mohammad Ali Jinnah had laid the foundation of partition, said goodbye to the world a year after the formation of Pakistan
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