नई दिल्ली। भारत-चीन तनाव के बीच मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। जिसमें कई राजनीतिक दलों के नेता शामिल होंगे। बता दे कि इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रेल मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, प्रह्लाद जोशी, वी मुरलीधरन शामिल हुए। विपक्ष की ओर से राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, टी शिवा ने भाग लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चीन मामले पर मोदी सरकार को घेर रहा है विपक्ष, कांग्रेस
राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में एलएसी पर विस्तृत बयान दिया और कहा कि चीन ने अवैध रूप से भारत की 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। इस पर कांग्रेस ने सरकार पर दो स्वरों में बात करने का आरोप लगाया है। विपक्षी पार्टी ने कहा कि, "पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ मौजूदा तनाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के झूठ, दोहरे बयान और पाखंड का भंडाफोड़ दो खुलासों से होता है।"
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नासीर हुसैन और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा, आश्चर्यचकित करने वाले तथ्य केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की तरफ से आए, जिसमें एक प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री ने स्पष्ट रूप से छह महीने के अंदर चीन की तरफ से किसी भी तरह की घुसपैठ से इनकार कर दिया। यह गलवान घाटी में 15 जून को हमारे बहादुर जवानों की शहादत का शर्मनाक अपमान है। पार्टी ने सवाल करते हुए कहा कि सरकार यह कहना चाह रही थी कि गलवान में झड़प चीनी क्षेत्र में हुई है? ऐसा कहकर, क्या सरकार दुश्मन के क्षेत्र में भारतीय सेना के घुसने का आरोप लगा रही है?
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि, सरकार ने सदन में स्वीकार किया है कि भारत ने बीजिंग स्थित एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक से 9,202 करोड़ रुपये के दो लोन लिए। दूसरा लोन 75 करोड़ डॉलर का 19 जून को लिया गया। यह लोन गलवान झड़प के चार दिनों के बाद लिया गया, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। संयोग से यह लोन उस दिन लिया गया, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि किसी ने भी हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया था।
पार्टी ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर से पूछा कि क्या वह अभी भी अपने बयान पर कायम हैं, जहां उन्होंने कहा था, यह देखते हुए कि चीन ने सीमा के पास यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिश की है, हमेशा की तरह व्यापार नहीं हो सकते। कांग्रेस ने कहा कि सरकार को निश्चित ही पूर्वी सीमा पर तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। एक स्पष्ट संदेश पूरी दुनिया में जाना चाहिए कि भारत और इसकी सरकार भारतीय सेना के साथ है और हमारे क्षेत्र पर चीन के दावे को वैधता प्रदान नहीं की जाएगी।
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